टीएनपी डेस्क(TNP DESK):-बाबूलाल मरांडी एक मंझे हुए और तजुर्बेकार नेता है. झारखंड की राजनीति में उनकी गहरी पकड़ और समझ रही है. आम आवाम में उनकी पैठ औऱ पकड़ है. इससे दरकिनार नहीं किया जा सकता. झारखंड के पहले मुख्यमंत्री भी बाबूलाल ही थे. हालांकि, जब उन्होंने बीजेपी से नाता तोड़ अपनी पार्टी जेवीएम बनाई. तो इसके बाद मानो भारतीय जनता पार्टी के दुश्मन बन गये औऱ जमकर क्लास लगाई. तल्ख लहजे से बीजेपी में वापसी को हमेशा नकारते रहे औऱ मोदी सरकार को कटघरे में खड़ा किया . हालांकि, सियसत का एक शगल है. जो अपने मिजाज से चलता है और मौके की नजाकत देखकर करवटे बदलते रहती है. सभी अपने फायदे-नुकसान के आकलन कर आगे की राह बनाते और चुनते हैं. बाबूलाल ने भी 14 साल के बनवास के बाद बीजेपी से अपनी बगावत को विराम दे दिया और अपनी पार्टी जेवीएम को विलय कर भगवा पार्टी में शामिल हो गये. आज वो झारखंड भाजपा के अध्यक्ष हैं और संकल्प यात्रा के जारिए सत्तासीन हेमंत सोरेन को उखाड़ फेंकने की अपील अपनी जनसभाओं में कर रहें है. उन्होंने सोरेन सरकार पर भ्रष्टाचार की कई तोहमते लगाई औऱ गिनाई. अपने ट्विट के जरिए राज्य की बेपटरी कानून-व्यवस्था, बढ़ता भ्रष्टाचार और सिस्टम की सुस्ती पर करारा प्रहार किया. साथ ही नेताओ, अफसरों और दलालों के गठजोड़ पर भी तल्ख तेवर दिखाये औऱ तंज कसा. बाबूलाल के बेबाक बोल औऱ आरोपों से झारखंड मुक्ति मोर्चा ने भी कमर कस ली . जेएमएम बाबूलाल के पुराने बयानों को ही हथियार बनाकर हमला कर रही है.
मुख्यमंत्री पर भ्रष्टाचार के आरोप लगाने पर
प्रदेश भाजपा की कमान संभाले बाबूलाल संकल्प यात्रा राज्य की 81 विधानसभा में कर रहें है. इस दौरान उनका मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन पर भ्रष्टाचार की तोहमते लगाने का सिलसिला बरकरार है. हालांकि, जेएमएम इसके जवाब बाबूलाल के पुराने बयान की याद दिलाई, जिसमें उन्होंने तत्कालीन मुख्यमंत्री रघुवर दास पर विधायकों के खरीद-फरोख्त के आरोप लगाए थे. वही बाबूलाल के उस बयान को भी जेएमएम बार-बार याद दिलाती है, जिसमे उन्होंने भाजपा में शामिल होने की बजाए कुतुबमीनार से कूदने की बात कहा करते थे. बाबूलाल के पुराने बयानों के वीडियों भी सोशल मीडिया में शेयर हो रहें हैं.
बाबूलाल के बचाव में उतरी भाजपा
पुराने बयानों को ही तीर बनाकर अपने तरकश में रखने वाली जेएमएम को भारतीय जनता पार्टी इसे दूसरे तरीके से जवाब दे रही है. बीजेपी का कहना है कि सियासत में कोई स्थायी दोस्त और दुश्मन नहीं होता है. सत्तासीन गठबंधन को हल्की बातों की बजाए मुद्दों पर बात हो तो बेहतर है. न की इसे भटकाने की कवायद करनी चाहिए.