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पीड़ित परिवार में उम्मीद की किरण! हाईकोर्ट का आदेश, मानवाधिकारों के उल्लंघन पर सरकार मुआवजा देने के लिए बाध्य

पीड़ित परिवार में उम्मीद की किरण! हाईकोर्ट का आदेश, मानवाधिकारों के उल्लंघन पर सरकार मुआवजा देने के लिए बाध्य

रांची(RANCHI)- पुलिस हिरासत में मृत पाये गये उमेश सिंह की मामले की सुनवाई करते हुए झारखंड हाई कोर्ट के जस्टिस संजय कुमार द्विवेदी की अदालत ने कहा है कि किसी भी मानवाधिकार का उल्लंघन होने पर सरकार मुआवजा देने के लिए बाध्य है. अदालत ने मृतक की पत्नी बबीता देवी को तत्काल पांच लाख रुपये का मुआवजा देने के साथ ही सभी पुलिस कर्मियों के विभागीय कार्रवाई करने का आदेश भी दिया. अदालत ने यह भी साफ कर दिया कि इस राशि का भुगतान संबंधित पुलिस कर्मियों से वसूली जायेगी.

क्या है मामला

ध्यान रहे कि जून 2015 में धनबाद जिले के धनुडीह ओपी ने उमेश सिंह को उसके घर से उठाया था, लेकिन अगली सुबह उमेश सिंह की लाश खेत में मिली, उसके शरीर पर चोट के कई निशान थें. साथ ही मृतक की कमीज धनुडीह लॉकअप से मिली थी. इस मामले में मृतक की पत्नी बबीता देवी ने झऱिया थाना में पुलिस कर्मी हरिनारायण राम, पवन सिंह, सतेन्द्र कुमार और अज्ञात के विरुद्ध मामला दर्ज करवाया था, लेकिन झरिया थाने के द्वारा इस मामले में कोई कार्रवाई नहीं की गयी.

सीआईडी जांच में सभी पुलिस अधिकारियों को मिला था क्लीन चिट

बाद में राज्य सरकार ने इस मामले की जांच सीआईडी को सौंप दिया, लेकिन सीआईडी जांच में भी पीड़िता को न्याय नहीं मिला और सभी पुलिस अधिकारियों को क्लीन चिट दे दी गयी. जिसके बाद बबीता देवी ने झारखंड हाईकोर्ट में न्याय की गुहार लगायी और आखिरकार हाईकोर्ट ने इस मामले में पीड़िता को मुआवजे का भुगतान का आदेश करते हुए सभी दोषी पुलिसकर्मियों के विरुद्ध  कार्रवाई का निर्देश दे भी दे दिया. मामले की सुनवाई करते हुए कोर्ट ने कहा कि यह पुलिस की बर्बरता का “साबित मामला” है, लेकिन इस मामले में अब तक दोषी पुलिस अधिकारियों पर कार्रवाई क्यों नहीं की गयी.

Published at:07 Jul 2023 11:36 AM (IST)
Tags:human rights violationsjharkhand high court umesh Singh death dhanbad जस्टिस संजय कुमार द्विवेदीDhanudih OP
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