धनबाद(DHANBAD): अपराध की दुनिया का बड़ा नाम अमन श्रीवास्तव. झारखंड के लगभग 6 जिलों में काम करता था और रंगदारी से वसूले गए पैसों को दिल्ली में एक परिचित के पास जमा कराता था. वह खुद तो रहता था झारखंड से बाहर लेकिन उसका गैंग झारखंड में ऑपरेट करता था और रांची रामगढ़, चतरा, लोहरदगा, हजारीबाग और लातेहार जिलो की पुलिस की चूल्हे हिलाए रहता था. धनबाद कोयलांचल में उसके खिलाफ कोई अपराधिक मामले तो दर्ज नहीं है ,यहां अलग-अलग गिरोह काम करते हैं. काम तो यहां के गिरोह भी अमन श्रीवास्तव की तर्ज पर ही करते हैं और रंगदारी वसूलते हैं. प्रिंस खान इसका उदाहरण है. खैर, जो भी हो लेकिन अमन श्रीवास्तव की गिरफ्तारी के बाद झारखंड के कई नेताओं, अफसरों और व्हाइट कॉलर लोगों की परेशानी बढ़ सकती है.
झारखंड पुलिस की बड़ी उपलब्धि
सूत्र बताते हैं कि झारखंड पुलिस ने उसका जो सीडी आर निकाला है, उसमें कई ऐसे लोगों के नंबर मिले हैं. अमन श्रीवास्तव के गैंगस्टर बनने की कहानी भी थोड़ी अलग है. सुशील श्रीवास्तव की 2015 में हजारीबाग में हत्या के बाद उसने गैंग की कमान संभाली और उसके बाद लगातार घटनाओं को अंजाम देता रहा. सुशील श्रीवास्तव उसके पिता थे. सूत्र यह भी बताते हैं कि वह कभी भी एक जगह नहीं रहता, झारखंड और मुंबई एटीएस की संयुक्त टीम ने उसे मंगलवार को मुंबई के वाशी रेलवे स्टेशन पर गिरफ्तार किया है. यह झारखंड पुलिस के लिए बड़ी उपलब्धि है और झारखंड के लिए सुकून भरी बात भी है.
मुंबई से की गई गिरफ़्तारी
पुलिस का कहना है कि अमन श्रीवास्तव व्यवसायियों से रंगदारी वसूली का काम करता था, नहीं देने पर वाहनों में आगजनी की घटनाएं और जान मारने की धमकी देता था. पुलिस सूत्रों के अनुसार अमन श्रीवास्तव कहीं भी स्थाई नहीं रहता , हर रोज वह अपना ठिकाना बदल लेता था. इसकी गिरफ्तारी के लिए झारखंड एटीएस की टीम पिछले 10 दिनों से मुंबई में अलग-अलग इलाकों में कैंप कर रही थी. सटीक सूचना पर अमन को पकड़ा गया. अमन श्रीवास्तव की गिरफ्तारी के बाद इतना तो तय है कि झारखंड के विभिन्न जिलों में गैंग चला रहे लोगों में भय बढ़ेगा. वैसे एक प्रिंस खान धनबाद पुलिस के लिए बड़ी चुनौती बन गया है. धीरे-धीरे यह झारखंड पुलिस के लिए भी चुनौती बनता जा रहा है.
रिपोर्ट: धनबाद ब्यूरो