धनबाद(DHANBAD): सरकारी स्कूलों में चल रहा है रिपोर्ट, रिपोर्ट और रिपोर्ट का खेल. एक तो शिक्षकों की भारी कमी है ,दूसरी ओर तरह-तरह की रिपोर्ट शिक्षकों से मांगी जा रही है. 3 नवंबर से लेकर 23 नवंबर के बीच विभागों ने स्कूलों से 15 तरह की रिपोर्ट मांगी है, जिन स्कूलों में शिक्षकों की कमी है, वहां तो पढ़ाई तक बाधित हो गई है. शिक्षकों से रिपोर्ट मांगी जा रही है और उन्हें तय सीमा के अंदर देने को कहा जा रहा है. स्कूल प्रबंधन समिति की रिपोर्ट, मध्यान भोजन की रिपोर्ट, रसोइयों की अनुपस्थिति की रिपोर्ट, अंडा संबंधी रिपोर्ट, कल्याण विभाग के पोर्टल की छात्रवृत्ति संबंधी रिपोर्ट सहित कई तरह की रिपोर्ट मांगी जा रही है. जहां एक शिक्षक का स्कूल चल रहे हैं ,वहा एक ही व्यक्ति प्रभारी शिक्षक और लिपिक की भूमिका में काम करना पड़ रहा है. आपको बता दें कि एक तो धनबाद में शिक्षकों की भारी कमी है, ऊपर से अन्य कामों में भी शिक्षकों को लगाया जाता है. तरह तरह की रिपोर्ट मांगी जाती है. ऐसे में सरकार बच्चों को पढ़ाने के लिए शिक्षकों को बहाल करती है और काम कराती है लिपिक का.सवाल किए जा रहे है कि रिपोर्ट कि अगर जरूरत है तो इसकी अलग व्यवस्था सरकार क्यों नहीं करती. शिक्षकों की भूमिका को लेकर हमेशा सवाल उठते रहे हैं. कभी कहा जाता है कि उनसे दूसरे काम नहीं लिए जाएंगे लेकिन जरूरत के हिसाब से उनको अन्य अन्य कामों में लगा दिया जाता है. ऐसे में बच्चों की पढ़ाई कितनी प्रभावित होती है, इसका आकलन कभी नहीं किया जाता. सरकार लंबी लंबी बातें करती हैं, मॉडल स्कूल की घोषणा करती हैं लेकिन व्यवस्था दुरुस्त ढंग से चले, इसके लिए कोई ग्रास रूट प्लान तैयार नहीं करती.
रिपोर्ट: सत्यभूषण सिंह,धनबाद