रांची(RANCHI): किडनी की बीमारी होने पर इलाज के लिए मरीज अब तक बड़े-बड़े शहरों में जाने को मजबूर होते थे. लेकिन अब बेहतर इलाज रांची में ही संभव है. रांची का पारस HEC अस्पताल हर दिन एक नया कीर्तिमान स्थापित करने में लगा है. इस अस्पताल में अब सिर्फ झारखंड ही नहीं आस पास के राज्य से भी मरीज पहुँच रहे है, सफल इलाज करा कर वापस लौट रहे है. इसी कड़ी में एक नौ वर्ष की बच्ची को लेकर छत्तीसगढ़ से परिजन पारस पहुंचे. यहां बच्ची के किडनी का सफल इलाज किया गया.
पारस हेल्थ अस्पताल राँची के किडनी रोग विशेषज्ञ डॉ ए के बैद्य ने बताया कि बहुत गंभीर स्थिति में बच्ची पारस अस्पताल में आयी थी. पहले मरीज को हेमोडायलिसिस पर रख कर स्वस्थ किया गया. बाद में बच्ची का पेरिटोनियल डायलिसिस (पेट का डायलिसिस ) किया गया. इस बीमारी में बच्चे को हर आधे घंटे पर भोजन देना पड़ता है, क्योंकि शरीर में ग्लूकोज़ की मात्रा कम होती रहती है. पारस अस्पताल में उपयुक्त और नियमित इलाज के बाद आज वो बच्ची बिलकुल स्वस्थ है और उसके माता पिता भी बहुत खुश हैं.
डॉ बैद्य बताते हैं कि - बच्ची जब 5 साल की थी तभी उसे “ग्लाइकोजन स्टोरेज डीज़ीज़” नामक जानलेवा बीमारी हो गई थी . यह बीमारी लाखों में एक बच्चे को होता है. किडनी रोग के इलाज में 20 वर्षों से ज़्यादा का अनुभव रखने वाले पारस हेल्थ अस्पताल के किडनी रोग विशेषज्ञ डॉ ए के बैद्य बताते हैं कि किडनी से संबंधित दो तरह की समस्याएँ होती है जैसे :
acute kidney failure (एक्यूट किडनी फेल्योर)
इसमें किसी कारण से किडनी अचानक काम करना बंद कर देता है.लेकिन यदि सही तरीक़े से इलाज किया जाय तो सामान्यतः 7 से 15 दिन में किडनी वापस काम करने लगता है. इसमें मरीज़ को नियमित डायलिसिस पर नहीं रखना पड़ता है. लगभग 5 से 10 डायलिसिस की आवश्यकता पड़ सकती है. अधिकतम 20 दिनों में मरीज़ का किडनी फिर से काम करने लगता है.
Chronic kidney failure (क्रॉनिक किडनी फ़ेल्योर)
- यह काफ़ी जानलेवा होता है. इस बीमारी में यदि किडनी एक बार काम करना बंद कर दिया तो फिर वापस से वह कभी काम नहीं कर पाता है.इसके मरीज़ को जीवनपर्यंत (सप्ताह में दो बार के हिसाब से) डायलिसिस पर रखना पड़ता है, जब तक की उस मरीज़ का किडनी ट्रांस्प्लांट नहीं हो जाता है.
किडनी संबंधित बीमारी के लक्षण
20 साल से ऊपर के सभी लोगों को किडनी की जाँच करानी चाहिए.
शरीर में कहीं भी किसी भी कारण से सूजन होने पर तुरंत चिकित्सक से संपर्क करें.
पेशाब में किसी भी तरह की समस्या आने पर किडनी की भी जाँच करायें.
मरीज़ की देखभाल कैसे करें
मरीज़ के शुगर को नियंत्रण में रखें. समय समय पर जाँच करते रहें. मरीज़ के ब्लड प्रेशर की नियमित जाँच करते रहें और नियंत्रित रखें मरीज़ को किसी भी तरह के संक्रमण से बचायें. नियमित डायलिसिस करायें जब तक किडनी बदला न जाए.
किडनी की समस्या से बचाव के तरीक़े
लगभग 70 प्रतिशत मरीज़ शुगर और ब्लड प्रेशर के कारण किडनी को ख़राब कर बैठते हैं. डॉ बैद्य सलाह देते हैं कि यदि किसी को शुगर या ब्लड प्रेशर की शिकायत हो तो तत्काल किडनी और हार्ट की जाँच करानी चाहिए. प्रत्येक साल किडनी और ह्रदय की जाँच करानी चाहिए.
5 प्रतिशत मरीज़ दर्दनिवारक दवाओं के कारण किडनी ख़राब किए बैठे हैं. इसलिए बिना चिकित्सक की सलाह के कोई दर्द निवारक दवाओं का इस्तेमाल न करें. अपने पारंपरिक भोजन को प्राथमिकता दें और जंक फ़ूड न खायें .कम से कम प्रतिदिन 45 मिनट तक व्यायाम करें.