दुमका(DUMKA):दुमका के सिदो कान्हू मुर्मू विश्विद्यालय से अब बीएड करने वाले छात्रों को 62 हजार रुपया अधिक भुगतान करना होगा. दो दिन पूर्व विश्वविद्यालय प्रबंधन की ओर से बीएड का फीस 88 हजार रुपए से बढ़ाकर एक लाख 50 हजार रुपए करने का निर्णय लिया गया है. विश्विद्यालय के इस निर्णय के खिलाफ छात्रों में नाराजगी और आक्रोश देखा जा रहा है.
फीस बढ़ाने को लेकर फूटा छात्रों का गुस्सा
विश्वविद्यालय के इस फैसले के विरोध में बुधवार को छात्र समन्वय समिति के बैनर तले काफी संख्या में छात्र विश्वविद्यालय पहुंचकर विरोध प्रदर्शन किया. छात्र प्रतिनिधि ने वीसी से मिलकर ज्ञापन सौंपा. जिसमें फीस को पूर्ववत रखने का अनुरोध किया गया है, अन्यथा उग्र आंदोलन की चेतावनी दी. छात्र नेता श्यामदेव हेम्ब्रम ने कहा कि सिदो कान्हू मुर्मू विश्वविद्यालय की ओर से बीएड संकाय सत्र 2023 - 25 में 62 हजार फीस को बढ़ाए जाने के संदर्भ में छात्र समन्वय समिति की ओर से विश्वविद्यालय के समक्ष विरोध प्रदर्शन किया गया.
छात्र प्रतिनिधि ने वीसी से मिलकर ज्ञापन सौंपा
कुलपति से मिलकर ज्ञापन सौंपते हुए फीस को ना बढ़ाने और पहले की तरह 88 हजार बरकरार रखने की मांग की गई. छात्रों का मानना है कि संथाल परगना अंतर्गत सिदो कान्हू मुर्मू विश्वविद्यालय में अधिकतर छात्र गरीबी रेखा से नीचे जीवन बसर करने वाले आदिवासी मूलवासी हैं. इस स्थिति में अचानक फीस में बढ़ोतरी कहीं से भी न्याय संगत नहीं है. विश्वविद्यालय की ओर से तर्क दिया जा रहा है कि राज्य में अन्य विश्वविद्यालयों में फीस अधिक है. इसलिए यहां भी फीस बढ़ाया गया.
छात्र नेता का कहना है कि अदूरदर्शी, विवेकहीन और हास्यास्पद लगता है
छात्र नेता का कहना है कि यह तर्क अदूरदर्शी, विवेकहीन और हास्यास्पद लगता है. दूसरी ओर फीस बढ़ाकर छात्रों के हितों की अनदेखी करते हुए किसी प्रकार की सुविधा में कोई बढ़ोतरी की बात नहीं की जा रही है. ना ही B.Ed की शिक्षा में गुणवत्ता बढ़ाने की बात कही जा रही है. जबकि विश्वविद्यालय में छात्रों की सुविधा और गुणवत्ता को बढ़ाते हुए सीटों को बढ़ाने की बात होनी चाहिए. छात्रों की मांग है कि B.Ed में फीस को ना बढ़ाकर पूर्व की भांति 88 हजार रहने दिया जाए और छात्रों के हित और शिक्षा की गुणवत्ता को बढ़ाया जाए.
B.Ed में फीस को पहले की तरह करने की अपील
इसके अलावे सिदो कान्हू मुर्मू विश्वविद्यालय अंतर्गत सभी महाविद्यालयों में आउटसोर्सिंग के माध्यम से जो भी नियुक्तियां की जा रही है. उस पर भी छात्र समन्वय समिति की ओर से आपत्ति जताई गई. और मांग की गई कि तत्काल नियुक्ति प्रक्रिया पर रोक लगाने लगाया जाए. ये नियुक्ति प्रक्रिया गलत तरीके से करने की कोशिश की जा रही है. इन नियुक्तियों में किसी भी प्रकार की पारदर्शिता को नहीं अपनाया गया है. छात्र समन्वय समिति की मांग है कि पारदर्शिता लाने के बाद ही नियुक्ति प्रक्रिया को शुरू किया जाए. इन दो बिंदुओं को ना मानने की स्थिति में छात्र समन्वय समिति विश्वविद्यालय के सभी महाविद्यालयों में अनिश्चितकालीन तालाबंदी करने के लिए विवश हो जाएगी. जिसकी जिम्मेदारी विश्वविद्यालय प्रशासन की होगी.
रिपोर्ट-पंचम झा