धनबाद(DHANBAD) | राजद सांसद प्रोफेसर मनोज झा के राज्यसभा में "ठाकुर का कुआं" कविता पर बवाल खड़ा हो गया है. कड़ी प्रतिक्रिया आ रही है. हालांकि यह कविता प्रोफेसर मनोज झा ने महिला बिल पास होने के वक्त पढ़ा था, लेकिन विरोध अब जाकर शुरू हुआ है. सबसे कड़ी प्रतिक्रिया बिहार के बाहुबली और चर्चित पूर्व सांसद आनंद मोहन ने दी है. उन्होंने कहा है कि अगर मैं राज्यसभा में होता, तो राख से जीभ खींचकर आसन की तरफ उछाल देता. उन्होंने सवाल किया कि अगर मनोज झा इतने बड़े समाजवादी हैं तो अपने नाम के साथ झा क्यों लगाते है.
पहले मनोज झा अपने अंदर के ब्राह्मण को मारे
वह पहले अपने अंदर के "ब्राह्मण" को मारे. उससे पहले आनंद मोहन के पुत्र राजद विधायक चेतन आनंद ने कड़ी प्रतिक्रिया दी और फेसबुक लाइव कर कहा कि मनोज झा ब्राह्मण पर कविता क्यों नहीं सुनाते है. अपनी करनी के लिए वह माफी मांगे. मनोज झा पर आरोप लगाया कि कुछ लोग पार्टी में रहकर ए टू जेड का फार्मूला बिगाड़ना चाहते है. जो भी हो महिला आरक्षण विधेयक पर राज्यसभा में बहस के दौरान सांसद प्रोफेसर मनोज झा ने अपने संबोधन में ओमप्रकाश वाल्मीकि की कविता का संदर्भ देने से पहले कहा था कि इसमें प्रतीक है, वह किसी जाति विशेष के लिए नहीं है. क्योंकि सबके अंदर एक "ठाकुर" है जो विश्वविद्यालय में बैठा है, संसद की दहलीज को चेक करता है. अंदर के इस ठाकुर को मारने की जरुरत है.
अब जाकर विवाद हुआ है तीखा
इसके बाद उन्होंने कविता पढ़ी, लेकिन उसके बाद अब विवाद तीखा हो गया है. हालांकि राजद के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष शिवानंद तिवारी ने कहा कि मनोज झा ने किसी जाति पर कुछ भी नहीं कहा है. यह सुप्रसिद्ध कविता है. कथाकार प्रेमचंद ने भी "ठाकुर का कुआं "शीर्षक से ही कहानी लिखी है. रचनाओं में सामंती मानसिकता के विरुद्ध समाज की वेदना है. इधर, जदयू एमएलसी संजय सिंह ने कहा है कि मनोज झा का बयान निंदनीय है. उन्होंने आगे कहा है कि ऐसे तो हम लोग ब्राह्मण का सम्मान करते हैं. लेकिन मैं उन्हें चेतावनी देता हूं कि क्षत्रिय समाज की आग को ना भड़काएं, वरना कोई दमकल भी बुझा नहीं पाएगा.
रिपोर्ट -धनबाद ब्यूरो