धनबाद(DHANBAD): धनबाद अपनी किस्मत पर आंसू बहाये कि इतराये , इतराने का मौका तो बहुत कम ही मिलता है, हमेशा धनबाद की किस्मत रोटी ही रहती है. खुद भूखे रहकर(कोयला के मामले में ) दूसरों का पेट भरने वाला धनबाद 24 अक्टूबर 1956 को अस्तित्व में आया था. हालांकि "1991 में इसके दो भाग हुए और बोकारो जिला अलग हो गया. फिलहाल धनबाद अपराध और भूमिगत आग की तपिश झेल ही रहा है, कि सड़क दुर्घटनाएं धनबाद के माथे पर भारी बोझ बन गई है. लगातार दुर्घटनाएं हो रही है. रविवार की सुबह गोविंदपुर में टैंकर और 10 चक्का ट्रक में टक्कर होने से दो लोगों की मौत हो गई. अभी दिन बीता भी नहीं था कि धनबाद शहर के आठ लेन हीरक रोड पर रविवार की रात एक क्रेटा कार की चपेट में आने से एक बाइक सवार की मौत हो गई, जबकि तीन लोग गंभीर रूप से घायल हो गए. दो बाइक पर सवार चार लोग प्रभातम मॉल की तरफ आ रहे थे.
क्रेटा कार ने लिया चपेट में
इसी दौरान तेज रफ्तार क्रेटा कार ने दोनों बाइक को अपनी चपेट में ले लिया. टक्कर होने के बाद बाइक सवार दूर जा गिरे. क्रेटा कर चालक गाड़ी भाग ले गया. उसके बाद अगल-बगल के लोगों ने घायलों को इलाज के लिए अस्पताल में भर्ती कराया. मृत युवक की पहचान गोविंदपुर विलेज रोड निवासी मुकेश कुमार रजक के रूप में हुई है. जिसे इलाज के लिए पहले अशर्फी अस्पताल ले जाया गया, जहां से उसे दुर्गापुर रेफर कर दिया गया. लेकिन रास्ते में ही उसकी मौत हो गई. दुर्घटनाएं धनबाद में रोज की बात हो गई है. जिस रफ्तार से धनबाद की आबादी बढ़ी , उस मुकाबले कनेक्टिविटी नहीं मिला. नतीजा है कि रोज दुर्घटनाएं हो रही है. ट्रैफिक इंतजाम भी यहां भगवान भरोसे है. रात को अगर आप सड़क पर निकल जाए तो एक तो लहरिया कट बाइक चलाने वाले सड़क पर कब्जा जमाए रहते है.
लहरिया कट बाइक और तीखी लाइट भी समस्या
वहीं दूसरी ओर जो गाड़ियां चलती है,उनकी लाइट इतनी तीखी होती है कि सामने वाले गाड़ी चालक को भारी परेशानी होती है. इन सब की कभी धनबाद में जांच नहीं होती, जबकि झारखंड के ही जमशेदपुर शहर में तीखी लाइट लगाकर, प्रेशर हॉर्न लगाकर, लहरिया कट बाइक चलाने पर तुरंत चालान कट जाता है. लेकिन धनबाद में ऐसा कुछ होता नहीं है. ट्रैफिक पुलिस सिर्फ हेलमेट चेकिंग तक ही अपने को सीमित कर रखा है. यह बात भी सही है कि हेलमेट चेकिंग से धनबाद में दो पहिया चलाने वालों में जागरूकता आई है और सड़क पर अधिकांश दुपहिया वाहन चलाने वाले हेलमेट धारण करते है. बावजूद दुर्घटना के कई और कारण है. लेकिन इस पर कभी ध्यान नहीं दिया जाता. धनबाद की आबादी फिलहाल लगभग 29 लाख के करीब है, जबकि धनबाद में पंजीकृत गाड़ियों की संख्या लगभग 8 लाख है. इसके अलावे दूसरे जिले की गाड़ियां भी धनबाद की सड़कों पर दौड़ती है. लेकिन इस अनुपात में सड़क चौड़ी नहीं हुई, नतीजा है कि रोज ही लोग काल के काल में समा रहे है.
रिपोर्ट -धनबाद ब्यूरो