दुमका (DUMKA) : दुमका से सटे हिजला गांव में 1890 में हिजला मेला की शुरुआत हुई थी. ब्रिटिश कालीन इस मेला में समय के साथ जनजातीय शब्द जुड़ा जिसे बाद में राजकीय मेला का दर्जा दिया गया. दुमका के इस मेला की प्रसिद्धि दूर दूर तक फैली है. मयूराक्षी नदी के तट पर इस वर्ष 21 फरवरी से 28 फरवरी 2025 तक राजकीय जनजातीय हिजला मेला का आयोजन होगा.
हिजला मेला के सफल आयोजन को लेकर मंगलवार को दुमका के समाहरणालय सभागार में डीसी ए दोड्डे के निदेश पर एसडीओ कौशल कुमार की अध्यक्षता में बैठक आयोजित की गयी. बैठक के बाद एसडीओ ने बताया कि मेला का उदघाटन ग्राम प्रधान के द्वारा किया जाएगा. मेला में आदिवासी फ़ूड स्टॉल सहित कई स्टॉल मेला में लगाए जाएंगे जो संथाल परगना की संस्कृति को प्रदर्शित करेगा. कहा कि मेला में विभिन्न विभागों के स्टॉल लगाकर कल्याणकारी योजनाओं की जानकारी लोगों को दी जायेगी. मेला क्षेत्र में पर्याप्त रौशनी, पार्किंग सहित अन्य व्यवस्थाएं की जायेंगी ताकि लोगों को आवागमन में परेशानी नहीं हो.
उन्होंने कहा कि मेला के सफल आयोजन के लिए विभिन्न समितियों एवं उपसमितियों का गठन जल्द से जल्द करें ताकि आयोजन में किसी प्रकार की कमी नहीं रहें. उन्होंने सभी संबंधित विभाग को अपना कार्य समय पूर्ण करने का निदेश दिया. जिला खेल पदाधिकारी को मेला अवधि के दौरान कराए जाने वाले खेलकूद की सूची तैयार करने का निदेश दिया. कहा कि सांस्कृतिक कार्यक्रम की रूपरेखा तैयार कर लें ताकि उपायुक्त के स्तर पर गठित समिति से अनुमोदन प्राप्त कर आवश्यक कार्य ससमय प्रारंभ किया जा सके.
राजकीय जनजातीय हिजला मेला का इंतजार न केवल दुमका बल्कि संथाल परगना के लोगों को बेसब्री से रहता है. मेला में जनजातीय संस्कृति की झलक देखने को मिलती है. परंपरागत खेल कूद और कृषि विभाग की प्रदर्शनी लोगों के आकर्षण का केंद्र बिंदु राहत है.
रिपोर्ट-पंचम झा