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दुमका में हो रहा राजकीय जनजाति हिजला मेला महोत्सव 2023 का आयोजन, लोगों में उत्साह, जानिए क्या होगा खास 

दुमका में हो रहा राजकीय जनजाति हिजला मेला महोत्सव 2023 का आयोजन, लोगों में उत्साह, जानिए क्या होगा खास 

दुमका(DUMKA) : दुमका के हिजला नामक स्थान पर लगने वाले राजकीय जनजाति हिजला मेला महोत्सव 2023 की तैयारी पूरी कर ली गयी है. शुक्रवार को मेला का उद्घाटन होगा. 3 मार्च को मेला का समापन होगा. एक सप्ताह तक चलने वाले इस ऐतिहासिक मेला में आदिवासी सभ्यता और संस्कृति की झलक देखने को मिलेगी. कोरोना महामारी के कारण 2 वर्षों तक मेला का आयोजन नहीं हो पाया था. इस वर्ष मेला को भव्यता प्रदान करने के लिए प्रशासनिक अधिकारी दिन रात मेहनत कर रहे हैं.

मेला का इतिहास

दुमका शहर से महज 5 किलोमीटर दूर मयूराक्षी नदी के तट पर ब्रिटिश कालीन भारत में 1890 में हिजला मेला की शुरुआत की गई थी. मेला के शुरू होने के पीछे की किंदंती भी बड़ी रोचक है. दरअसल, उस स्थल पर एक पेड़ हुआ करता था, जिसके नीचे बैठकर स्थानीय लोग पंचायत लगाते थे. समय के साथ-साथ इस स्थल पर लगने वाले पंचायत की महत्ता बढ़ती गई और दूर-दराज से भी लोग अपनी समस्या लेकर यहां पहुंचने लगे. अक्सर लोगों की भीड़ इस स्थल पर लगे रहने के कारण ब्रिटिश हुकूमत को यह अंदेशा हुआ कि यहां बैठकर लोग ब्रिटिश हुकूमत के खिलाफ साजिश रचते हैं. उन्हें यह भी पता चला कि लोगों की आस्था का केंद्र वह पेड़ है. उसके बाद ब्रिटिश हुकूमत ने ना केवल पेड़ कटवा दिया, बल्कि वहां बैठकर पंचायत लगाने पर भी प्रतिबंध लगा दिया. कहा जाता है कि जिस वर्ष पेड़ को काटा गया, उस वर्ष क्षेत्र में भीषण अकाल पड़ा. लोगों को लगा कि पेड़ कटने के कारण ही यह अकाल पड़ा है. उसके बाद स्थानीय लोगों की एक टीम ने ब्रिटिश हुकूमत से मिलकर स्थल पर बैठने और पंचायत लगाने की अनुमति मांगी. उन्हें बताया गया कि यहां ब्रिटिश हुकूमत के खिलाफ कोई साजिश नहीं रची जाती है, बल्कि पंचायत के माध्यम से समस्या का समाधान किया जाता है. तब 1890 में ब्रिटिश हुकूमत ने इस स्थल पर मेला लगाने की अनुमति दी और तब से यह मेला दिन प्रतिदिन अपने नए स्वरूप में लगते आ रहा है. वैसे कोरोना के कारण 2 वर्षों तक मेला का आयोजन नहीं हो पाया.

पूर्ववर्ती सरकार ने जनजातीय शब्द जोड़कर राजकीय मेला का दिया दर्जा

हिजला मेला पूरी तरह जनजातीय सभ्यता और संस्कृति पर आधारित है. जिसे देखते हुए पूर्ववर्ती रघुवर दास की सरकार ने हिजला मेला के पहले जनजातीय शब्द जोड़कर इसे राजकीय मेला का दर्जा दिया. तब से यह राजकीय जनजातीय हिजला मेला के नाम से जाना जाता है. समय के साथ-साथ मेला की प्रसिद्धि दूर तक हो रही है. इस वर्ष जिला प्रशासन का प्रयास है कि मेला को भव्य रूप प्रदान कर इसकी पहचान राष्ट्रीय स्तर पर स्थापित करना है.

मेला में क्या होता है खास

आदिवासी संस्कृति पर आधारित राजकीय जनजातीय हिजला मेला के कण-कण में आपको आदिवासी संस्कृति की झलक मिल जाएगी. 8 दिनों तक यह मेला चलता है. जहां परंपरागत खेलकूद से लेकर आदिवासी नृत्य और हाल के बरसों से जनजातीय फैशन शो यहां के आकर्षण का केंद्र बिंदु माना जाता है. साथ ही यह जिला कृषि प्रधान जिला है. मेला में कृषि विभाग द्वारा प्रदर्शनी लगाई जाती है. जिसमें आधुनिकतम तकनीक से कृषि कार्य को दर्शाया जाता है. मेला घूमने आने वाले लोग कृषि विभाग की प्रदर्शनी का अवलोकन जरूर करते हैं.

दो साल बाद मेले का उत्साह

2 वर्षों तक कोरोना के कारण मेला का आयोजन नहीं हो पाया. इस वर्ष जब हालात सामान्य है तो इस मेला को सफल बनाने के लिए जिले के अधिकारी जहां दिन रात मेहनत कर रहे हैं वहीं आम लोग भी इसको लेकर काफी उत्साहित नजर आ रहे हैं. कल मेला का उद्घाटन होगा और 3 मार्च को इसका समापन हो जाएगा.

रिपोर्ट : पंचम झा, दुमका

Published at:23 Feb 2023 05:43 PM (IST)
Tags:State Tribal Hijla Fair Festival 2023dumka newsdumka dcjharkhand latest newsthe news post
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