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Loksabha Election: क्या एके राय की पार्टी लोकसभा चुनाव के बहाने कर रही विधानसभा की तैयारी, पढ़िए ये रिपोर्ट

Loksabha Election: क्या एके राय की पार्टी लोकसभा चुनाव के बहाने कर रही विधानसभा की तैयारी, पढ़िए ये रिपोर्ट

धनबाद(DHANBAD): पूर्व सांसद एवं चिंतक ए के राय की  पार्टी  मासस  ने 2024 के लोकसभा चुनाव में गठबंधन में शामिल होने के बजाय अकेले चलने  का निर्णय लिया है.  उसने जगदीश रवानी के रूप में धनबाद लोकसभा से उम्मीदवार भी उतार दिया है.  तो क्या मासस  लोकसभा चुनाव के बहाने विधानसभा चुनाव की तैयारी कर रही है.  क्या वह  क्षेत्र विस्तार की कोशिश में है.  क्या अब मासस अब  दूसरी लाइन   के नेताओं के लिए जमीन तैयार कर  रही है.  एके  राय तो दिवंगत हो गए है.  सिंदरी के पूर्व विधायक आनंद बाबू भी अब उम्र दराज हो चले  है.  ऐसे में सिंदरी विधानसभा से वह चुनाव लड़ेंगे, इसमें संदेह है.  हो सकता है कि उनका पुत्र सिंदरी विधानसभा से मासस  की ओर से चुनाव लड़े .  निरसा  और सिंदरी के अलावे अन्य जगह से भी विधानसभा चुनाव में मासस  उम्मीदवारी कर सकती है. मासस का फिलहाल कोई विधायक नहीं है.  निरसा  विधानसभा से अरूप  चटर्जी 2019 में चुनाव हार गए थे.  सिंदरी से भी भाजपा के उम्मीदवार चुनाव जीते थे.  लोग बता रहे हैं कि मासस  विधानसभा चुनाव की तैयारी कर रही है.  एके  राय तो धनबाद से तीन बार सांसद रहे थे.  

1977 में तो जेल में रहते हुए  चुनाव लड़ा और जीत गए

1977 में तो जेल में रहते हुए नामांकन किया, चुनाव लड़ा और जीत गए.  वैसे निरसा विधानसभा क्षेत्र में लाल झंडे की राजनीति चलती रही है.  लेकिन 2019 में फॉरवर्ड ब्लॉक से आई अर्पणा  सेनगुप्ता ने भाजपा का दामन थामा , भाजपा ने उन्हें निरसा  विधानसभा से टिकट दे दिया और वह चुनाव जीत गई.  फिलहाल वह निरसा  विधानसभा क्षेत्र से भाजपा की विधायक है.  उनके पति सुशांतो सेन  गुप्ता की हत्या कर दी गई थी.  पति की हत्या के बाद वह राजनीति में आई और मंत्री पद तक पहुंची.  इस बार मासस  बहुत पहले ही घोषणा कर दी थी कि धनबाद लोकसभा से वह अपना उम्मीदवार देगी.  इसके लिए धनबाद के गोल्फ  मैदान में महीनों  पहले एक रैली भी की गई थी.  इस रैली में भीड़ जुटाने  की पूरी कोशिश हुई थी.  यहीं से संदेश निकला था कि मासस  अब धनबाद के विधानसभा क्षेत्रों  में अपनी ताकत बढ़ाएगी और जमीनी स्तर पर इस दिशा में काम हो रहा है.  बता दें कि धनबाद में झारखंड मुक्ति मोर्चा का गठन एके राय  ,शिबू सोरेन  और विनोद बाबू ने मिलकर किया था.  लेकिन बाद में एके  राय की राह अलग हो गई और वह मासस  गठन किया था. 

1984 में  तमाम दिग्गज चुनाव हार गए थे 

1984 में जब झारखण्ड नहीं बना था तब    एक समय ऐसा आया था जब  एके राय ,शिबू सोरेन ,विनोद बिहारी महतो जैसे दिग्गज भी चुनाव हार गए थे. झारखंड उस समय बिहार में शामिल था,  झारखंड के खाते में आज जो 14 लोकसभा सीट आई है, उन सभी सीटों पर कांग्रेस ने एकतरफा  जीत दर्ज की थी और यह 1984 का लोकसभा चुनाव था.  इस चुनाव में शिबू सोरेन, विनोद बिहारी महतो, एके  राय, भुवनेश्वर प्रसाद मेहता जैसे दिग्गज भी चुनाव हार गए थे.  कांग्रेस की एकतरफा  जीत हुई थी.  यह चुनाव पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या के बाद हुआ था.धनबाद से एके राय कांग्रेस के शंकर दयाल सिंह के हाथों चुनाव हार गए थे.  गिरिडीह से सरफराज अहमद कांग्रेस के उम्मीदवार के रूप में जीते थे और उन्होंने विनोद बिहारी महतो को पराजित किया था.  दुमका से पृथ्वी चंद्र किस्कु कांग्रेस के टिकट पर चुनाव जीते.  उन्होंने झारखंड मुक्ति मोर्चा के शिबू सोरेन को पराजित किया था. 

रिपोर्ट -धनबाद ब्यूरो 

 

Published at:02 May 2024 01:41 PM (IST)
Tags:dhanbadलोकसभा चुनावLok Sabha ElectionsLok Sabha Polls 20242024 Lok Sabha Election NewsAK Rai's partyDhanbad Loksabha AK rai news
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