धनबाद(DHANBAD): नया साल '2023 शुरू हो गया है. इस नए साल से लोगों को ढेरों उम्मीदें है. इन उम्मीद के बीच धनबाद में मनरेगा की योजनाओं की प्रगति धीमी है. स्थानीय स्तर पर रोजगार देने के लिए शुरू की गई मनरेगा की 30,000 से अधिक योजनाएं अधूरी पड़ी हुई है. यह भी बात नहीं है कि योजनाएं एक-दो वर्ष की है. 12 हजार से अधिक योजनाएं 4 साल से अधूरी है. कई तो ऐसी हैं जिनकी शुरुआत भी नहीं हुई है. चालू वित्तीय वर्ष की गिनती करें तो 5500 से भी अधिक योजनाएं अधूरी है. योजनाओं को पूरा करने के मामले में गोविंदपुर प्रखंड की हालत सबसे खराब है. एक आंकड़े के मुताबिक, प्रखंड में 7000 से अधिक योजनाएं या तो पूरी नहीं हुई या शुरू ही नहीं की गई है. टुंडी जैसे पिछड़े प्रखंड में भी मनरेगा की हालत सही नहीं है. यहां भी 4500 सौ से अधिक योजनाएं लंबित है.
धनबाद के टुंडी में हालत सही नहीं
बता दें कि टुंडी में रोजगार का कोई साधन नहीं है, यहां के लोग कमाने-खाने के लिए दूसरे प्रदेशों में जाने को मजबूर है. लोगों को अधिक से अधिक रोजगार देने के लिए यह योजना शुरू की गई थी. उन जगहों के लिए अधिक योजनाएं लिए जाने की परंपरा है, जहां रोजगार के बहुत सारे साधन नहीं है. लोग एकमात्र कृषि पर निर्भर है. बावजूद धनबाद में योजनाओं की धीमी गति टीस पैदा करती है. सूत्र बताते हैं कि अधूरी योजनाओं की हालत 4 साल से खराब है. इससे पहले कि तमाम योजनाओं को पहले ही बंद कर दिया गया है. 4 वर्षों यानी वित्तीय वर्ष 2019-2020 से लेकर वित्तीय वर्ष 2022-2023 तक की योजनाएं अधूरी पड़ी हुई है.
रिपोर्ट : सत्यभूषण सिंह, धनबाद