देवघर (DEODHAR) : शैक्षणिक योग्यता का आधार मैट्रिक माना गया है. इन दिनों झारखंड एकेडमिक काउंसिल द्वारा मैट्रिक और इंटर की परीक्षा ली जा रही है. हालांकि मुख्य एग्जाम 14 मार्च से शुरू होगा. इससे पहले प्रैक्टिकल की परीक्षा और आंतरिक मूल्यांकन का काम किया जा रहा है. जिले के तमाम संबंधित स्कूल और कॉलेजों में मैट्रिक और इंटरमीडिएट एग्जाम के पहले प्रैक्टिकल की परीक्षा ली जा रही है. लेकिन हालात ऐसा है की परीक्षा के नाम पर शिक्षा विभाग द्वारा कैसी व्यवस्था की गई है इसका अंदाजा इस बात से लगा सकते हैं की एक ही क्लास रूम में भेड़िया धसान कर विद्यार्थियों को भर दिया गया है और उनसे प्रैक्टिकल परीक्षा लिया जा रहा है.
शिफ्ट वाइज हो रही परीक्षा
दरअसल, देवघर के देवीपुर स्थित केंदुआ उत्क्रमित प्लस टू उच्च विद्यालय का यही हाल है. यहां शिफ्ट वाइज शिफ्ट परीक्षाएं ली जा रही है. स्कूल में कक्षा कम और विद्यार्थियों की संख्या ज्यादा रहने के कारण स्कूल के कक्षा रूम में ठूस ठूस कर बच्चों का एग्जाम लिया जा रहा है. शिक्षा विभाग की लापरवाही का आलम यह है कि बच्चे बरामदा में बैठकर भी परीक्षा देने को मजबूर है. इससे परीक्षार्थियों को परीक्षा देने में काफी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है. 20 अंकों के लिए जा रहे प्रैक्टिकल परीक्षा का नंबर विद्यार्थियों के मुख्य परीक्षा परिणाम फल में अंकित किया जाएगा. जिन विषयों में प्रैक्टिकल नहीं है उन विषयों का आंतरिक मूल्यांकन किया जा रहा है. इसके लिए सभी विद्यालयों के शिक्षक तो है ही इसके अलावा अन्य विद्यालयों के शिक्षक को भी प्रतिनियुक्त किया गया है. खुद विद्यालय के प्रभारी प्राचार्य दिलीप मंडल बजी मान रहे हैं कि संसाधन की कमी के कारण विद्यार्थियों को परीक्षा देने में काफी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है. इस तरह का नजारा शिक्षा विभाग द्वारा खुद परीक्षा में चोरी करने का गुण विद्यार्थियों को सिखाया जा रहा है. अभिभावकों द्वारा गुणवत्तापूर्ण शिक्षा पर भी सवाल उठाए जा रहे हैं.
रिपोर्ट : रितुराज सिन्हा, देवघर