रांची(RANCHI): 24 साल की उम्र में देश की आज़ादी के लिए भगत सिंह ने हँसते हँसते फांसी के फंदे को चूम लिया था.वह चाहते तो बच सकते थे,ब्रिटिश हुकूमत से माफी मांग लेते.लेकिन भगत सिंह ने अपनी जान देकर देश में जल रही आज़ादी की चिंगारी को हवा दी,और देश में आज़ादी की लड़ाई तेज हो गई.दुनिया भगत सिंह को शहीद ए आज़म के नाम से जनता है.लेकिन विडंबना ऐसी कि झारखंड में भगत सिंह की प्रतिमा लगाने को दो ग़ज़ जमीन नहीं मिल रही है.भगत सिंह को अपना आदर्श मानने वाले लोग महीनों से धरना दे रहे है.अब किसी ने नहीं सुना तो रांची बंद का आह्वान किया है.
बता दे कि राष्ट्रीय युवा शक्ति संस्था रांची में भगत सिंह की प्रतिमा स्थापित करना चाहती है.प्रतिमा बन कर तैयार है,शुरू में इसे मोरहाबादी मैदान के पास स्थापित किया गया.लेकिन बाद में पुलिस प्रशासन और निगम की ओर से प्रतिमा को हटा दिया गया.कई महीनों से पुलिस लाइन में शहीद ए आज़म कैद है.कबाड़ की गाड़ियों के बीच प्रतिमा धूल फांक रही है.लेकिन अब युवा आर पार की लड़ाई लड़ने को तैयार है.11 मार्च को मशाल जुलूस मिकालने की घोषणा की है.वहीं 12 मार्च को रांची बंद का आह्वान किया है.
युवाओं की मांग है कि भगत जिसने देश के लिए अपनी जान कुर्बान कर दी.उनके प्रतिमा को सम्मान देने का काम जिला प्रशासन करें. किसी स्थान को चयन कर उनकी प्रतिमा को जल्द स्थापित कराये.यह बात बेहद दुःखी करने वाली है कि जिस भगत ने देश के लिए जान निछावर कर दिया.आज उन्हें दो ग़ज़ जमीन नहीं मिल रही है.अगर 23 मार्च तक जगह नहीं मिला तो रांची में दूसरा भगत सिंह देखने को मिलेगा.युवा फांसी के फंदे पर झूल जाएगा.जिसका जिम्मेदार प्रशासन होगी.