सरायकेला(SARAIKELA):दक्षिण पूर्व रेलवे आद्रा मंडल के अधीन सरायकेला के चांडिल रेलवे जंक्शन स्टेशन पर कोविड महामारी से पहले र ट्रेन से कोयला,आयरन अप्लोर्ड के समय लिपटर की मदद से मजदूरों से काम लिया जाता था, उस समय मजदूरों को रोजी रोजगार मिलती थी लेकिन वर्तमान में सारा काम जेसीपी मशीन द्वारा की जार ही है.जिससे मजदूरी को भूखे मरने की स्थिति पैदा हो गई है.
जेसीपी मशीन से काम करने से ट्रेन की गुड्स बोगी डैमेज भी हो रही है
वहीं जेसीबी मशीन से काम करने से ट्रेन की गुड्स बोगी डैमेज भी हो रही है.रेलवे ठेकेदार द्वारा साफ सफाई झाड़ू लगाने वाले मजदूरों को 150 और रेलवे ट्रेक में काम करनेवाले 250 दिया जाता है.जब उनसे सवाल किया गया, तो उन्होने सीधा जबाब ना देकर कहा कि हमे इस विषय में उतनी जानकारी नहीं है, इस इसपर जांच करेंगे ओर इसे सही करने की कोशिश करेंगें. कोई समाज सेवी प्रदर्शन को लेकर हाई कॉर्ट में जाचिका दाखिल किया ,दिल्ली प्रदूषण बोर्ड को लिखित भी दिया परंतु कोई पदाधिकारी द्वारा कोई ठोस कदम नहीं उठाया.
रेलवे यार्ड रैक में कार्य नहीं मिलने पर स्थानीय मजदूर दूसरे राज्य में पलायन कर रहे हैं
आपको बताये कि विगत कोई वर्षो से आद्रा मंडल के चांडिल जंक्शन रेलवे स्टेशन विभिन्न प्लांट द्वारा कोयला और आयरन का रेख लगता है,और अपलोड किया जाता है.जिसे इस क्षेत्र के लोगो प्रदूषण से जन जीवन अस्त व्य्स्त हो गया है. मानव जीवन के साथ इसका सीधा असर कृषि खेती बाड़ी पर पड़ रहा है.पानी और वायु मंडल प्रदूषण होने से लोगो को सांस लेने में कठिनाई होती है.17 वर्षो से लिप्टर द्वारा मजदूरों से काम लिया जाता था, लेकिन विगत तीन वर्षो से जेसीपी द्वारा कार्य किया जा रहा है.आज रेलवे यार्ड रैक में कार्य नहीं मिलने पर स्थानीय मजदूर दूसरे राज्य में पलायन कर रहे हैं. इसका जिंबेदार कौन है.
रिपोर्ट-वीरेंद्र मंडल