सरायकेला(SARAIKELA):सरायकेला के राजनगर प्रखंड के जुमला पंचायत स्थित ईंटापोखर गांव में खुदाई के दौरान दो बड़े बड़े शिवलिंग मिले है. शिवलिंग के मिलने से लोग इसे आस्था से जोड़कर देख रहे हैं. साथ ही यहां के स्थानीय लोग शिवलिंग की पूजा अर्चना में जुट गए हैं. अब तक यह स्पष्ट नहीं हो पाया है कि शिवलिंग कौन से सदी का है. पुरातत्व विभाग के जांच के बाद यह स्पष्ट हो पाएगा कि यह शिवलिंग प्राचीन है या फिर कुछ और है.
जानिए खुदाई के दौरान क्या हुआ?
जब जाहेरस्थान की चार दिवारी की खुदाई के दौरान जमीन से शिवलिंग निकला तो खुदाई का काम कर रहे मजदूर इसे आस्था से जोड़ कर देखने लगे. मजदूरों के साथ-साथ अन्य लोग भी शिवलिंग की पूजा करने लगे. खुदाई कार्य में लगे मजदूरों ने बताया कि जब खुदाई की जा रही थी तो जमीन के नीचे कुछ कठोर चीज होने का एहसास हुआ. इसके बाद धीरे-धीरे उस जगह की खुदाई की गई. इसके बाद दो अलग अलग जगह में बड़ा सा शिवलिंग खुदाई के दौरान निकला है.साथ ही एक मूर्ति भी बरामद हुआ है जिनका सिर नहीं है, लेकिन हैरानी की बात यह है कि जिस जगह पर सदियों से घर और द्वारा का नामोनिशान नहीं था उस जगह पर पुराने जमाने के महल का ईट भी बरामद हुआ है. खुदाई करने वाले मजदूरों ने बताया कि संभवत इस जगह पर सदियों पुराना कोई महल बना होगा, जिसका यह ईट खुदाई के दौरान मिल रहा है, फिलहाल यह एक जांच का विषय है कि यहां कोई महल था या फिर कुछ और.
लोगों ने जताई मंदिर होने की आशंका
जिस जगह पर शिवलिंग मिला है उस जगह पर लोग अब कयास लगा रहे हैं कि यहां पर कभी ना कभी कोई प्राचीन मंदिर रहा होगा. इसके बाद लोग जानकारी इकट्ठा करने में जुट गए हैं कि इस जगह पर प्राचीन समय में कोई मंदिर तो नहीं था. हालांकि, अब तक उस जगह पर मंदिर होने की बात की पुष्टि नहीं हो पाई है. फ़िलहाल गांव के लोग भी जांच में जुटा है कि आखिर यह शिवलिंग इतनी गहराई में कैसे पहुंचा.
लोगों ने शुरू की शिवलिंग की पूजा अर्चना
इसके बाद भारी संख्या में नारियल और अगरबत्ती लेकर इस शिवलिंग की पूजा करने लगे. लोगों का यह मानना है कि यदि यहां शिवलिंग निकला है तो यहां पर जरूर मंदिर बनना चाहिए. हालांकि, अभी तक यह स्पष्ट नहीं हो पाया है कि यह शिवलिंग यहां कैसे आई या फिर वाकई में यह जमीन के अंदर गड़ा हुआ था. शिवलिंग कितना प्राचीन है यह पुरातत्व विभाग के जांच के बाद स्पष्ट हो पाएगा.वहीं दूसरी और आदिवासी समुदाय के लोगों का कहना है कि इस जाहेरस्थान में सदियों से प्रकृति की पूजा अर्चना होती आ रही है और इस जगह पर शिवलिंग का निकलना एक चमत्कारी साबित हो रही है, लेकिन आदिवासी समुदाय के लोग मंदिर पर नहीं बल्कि प्राकृतिक की पूजा करते हैं इसलिए यहां मंदिर का निर्माण उचित नहीं होगा.
रिपोर्ट-वीरेंद्र मंडल