टीएनपी डेस्क: अमन साहू को उसके परिजन इंजीनियर बनाना चाहते थे. लेकिन कोयलांचल में सक्रिय रहे भोला पांडेय व सुशील श्रीवास्तव गिरोह के गुर्गों की चकाचौंध देख वह अपराध की दुनिया में उतर गया. 1995 में पिठौरिया में जन्में अमन ने मैट्रिक की परीक्षा 2010 में 78% अंक से की थी. इसके बाद परिजनों ने उसका दाखिला मोहाली में इंफॉर्मेशन टेक्नोलॉजी एंड कंप्यूटर साइंस में करा दिया. वहां से उसने 62% अंक के साथ डिप्लोमा किया. 2012 में डिप्लोमा के बाद उसकी पहचान प्रतिबंधित संगठन झारखंड जनमुक्ति मोर्चा के तत्कालीन सुप्रीमो कुलेश्वर सिंह से हुई. संगठन के लिए रंगदारी मांगने के केस में पहली बार अमन पर पतरातू थाने में 10 मई 2012 को केस दर्ज हुआ. इसके बाद वह पतरातू क्षेत्र में लगातार रंगदारी के लिए वारदात करने लगा. 2015 में पहली बार वह गिरफ्तार किया गया. जेल में उसकी पहचान सुजीत सिन्हा से हुई. इसके बाद उसके साथ मिलकर अमन ने नया गिरोह बनाया.
हर वारदात के बाद सोशल मीडिया पर करता था पोस्ट
साहू ने अपने व गिरोह के नाम पर खौफ स्थापित करने के लिए सोशल मीडिया का भी खूब इस्तेमाल किया. इस पर अत्याधुनिक हथियार के साथ तस्वीरें पोस्ट करने का शौक अमन को था. रंगदारी मांगने के लिए भी वह अंतर्राष्ट्रीय नंबरों से धमकी भरे कॉल करवाता था. इसके बाद व्हाट्सएप पर भी अपनी तस्वीरें भेजकर कारोबारियों को धमकाता था. इस दौरान वह अपने गिरोह को सुजीत सिन्हा के साथ मिलकर संचालित किया करता था. लेकिन 2022 के बाद अमन और सुजीत ने अलग-अलग गिरोह चलाना शुरू कर दिया था.
सीआईडी करेगी केस की जांच
गैंगस्टर अमन की पुलिस मुठभेड़ में मौत पर पुलिस मुख्यालय ने पलामू पुलिस से रिपोर्ट मांगी है. पुलिस मुख्यालय प्रारंभिक रिपोर्ट को राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग को भेजेगी. इसके बाद इस केस में पलामू पुलिस द्वारा दर्ज केस को सीआईडी को सौंपा जाएगा.