धनबाद (DHANBAD) : हर दिन सुबह-सुबह किसी भी शहर के किसी भी मुहल्ले में स्कूल वैन वालों की सक्रियता रहती है. कुछ बच्चों को एक निश्चित जगह पर भी पहुंचाया जाता है. कुछ घर से ले जाते है. इन वैन चालकों पर बच्चों को सुरक्षित ले जाने और घर पहुंचने की जिम्मेवारी होती है. लेकिन क्या कोई अभिभावक इस बात की पड़ताल करता है कि उनके बच्चे कितने सुरक्षित ढंग से स्कूल जाते हैं.
अगर बच्चे सुरक्षित घर आ जा रहे है तो यह भगवान का शुक्र है. यह अलग बात है कि वैन की सुरक्षा के लिए मानक बने हुए हैं. लेकिन उन मानकों पर यह कितने सुरक्षित हैं, निर्देशों का कितना पालन होता है. इसकी जांच पड़ताल नहीं होती. सुबह-सुबह स्कूल जाने और दोपहर बाद लौटने के समय तो शहर की सड़क वाहनों से अटी पड़ी होती है. एक तो बेतरतीब ढंग से वाहन चलाए जाते हैं, दूसरी ओर ऐसे वैन गैस सिलेंडर से चलाए जाते हैं. पेट्रोल, डीजल के बजाय कॉस्ट काम पड़ता है. इसलिए यह सब किया जाता है.
स्कूल वाहनों के संचालन के लिए कई बार नियम बनाए गए. परिवहन विभाग ने कई बार इसकी जांच की. जुर्माना भी किया, लेकिन कोई परिवर्तन नहीं आया. एक वैन में आठ बच्चे तक के बैठने की क्षमता होती है. लेकिन 14 से 16 बच्चों को बैठाया जाता है. सीट पर क्षमता से अधिक बच्चे तो बैठते ही हैं. बीच में पतली बेंच लगा दी जाती है और इस पर भी बच्चों को बैठाया जाता है. सीट से सटाकर गैस सिलेंडर भी रखा जाता है. इन सिलेंडरों के सहारे ही वाहन को चलाया जाता है. ऐसी हालत में दुर्घटना की आशंका से कोई भी इनकार नहीं कर सकता है.
अभिभावकों की भी लाचारी है कि वह वैन चालकों की शरण में जाएं, क्योंकि शहर के कई बड़े निजी स्कूलों ने स्कूल बस चलाना बंद कर दिया है. ऐसे में अभिभावकों को या तो खुद बच्चों को स्कूल पहुंचना पड़ता है. या फिर वैन या टेंपो के सहारे उन्हें भेजना पड़ता है. वैन भी जर्जर दिखते है. दूसरी ओर इनका रखरखाव भी सही ढंग से नहीं होता. पता नहीं पेपर की जांच कभी होती है अथवा नहीं.
अभी एक वैन का गेट टूटने और उसे संभालने के लिए वैन में सवार बच्चे के हाथ में देने का वीडियो खूब वायरल हो रहा है. अगर यह सच है तो बच्चों की सुरक्षा के साथ आपराधिक खिलवाड़ है. हालांकि इस वायरल वीडियो की पुष्टि The News post नहीं करता है. फिर भी जो नियम है, उनके मुताबिक स्कूल वैन को पेट्रोल, डीजल इंजन से ही चलना है. क्षमता के अनुसार ही बच्चों को बैठना है. स्कूल वैन के शीशे में जाली होनी चाहिए. गेट में भी सेंट्रल लॉक लगाना है, लेकिन अगर इसकी जांच की जाए तो पता चलेगा कि कहीं कुछ है ही नहीं.
रिपोर्ट. धनबाद ब्यूरों