दुमका(DUMKA):भीषण गर्मी में पेयजल संकट आज किसी क्षेत्र विशेष की समस्या नहीं है. कमोवेश यह आलम पूरे झारखंड राज्य या यूं कहें कि देशव्यापी हो गया है. हम मानव जाति काफी जद्दोजहद करके, लड़ाई झगड़ा करके भी पेयजल की व्यवस्था कर लेते हैं, लेकिन जरा सोचिए उस बेजुवान के बारे में तो पानी के लिए तड़प तड़प कर जान दे देता है. कुछ दिन पूर्व पलामू की एक खबर ने इंसानों को झकझोर कर रख दिया. जहां प्यास बुझाने 30 से ज्यादा बंदर कुवां में कूद गए, उनकी प्यास तो बुझ गयी लेकिन जान नहीं बच पायी.
डूमरथर में पक्षियों के लिए सैकड़ो जगह पर रखे गए मिट्टी के पात्र
इस सबके बीच एक खूबसूरत तस्वीर झारखंड की उपराजधानी दुमका से सामने आयी है. जिला मुख्यालय से लगभग 50 किलोमीटर दूर जरमुंडी प्रखंड के डूमरथर गांव में पक्षियों के लिए दाना पानी अभियान की शुरुआत की गई है.आदिवासी बाहुल्य इस गांव के उत्क्रमित मध्य विद्यालय के शिक्षक, छात्र और ग्रामीणों के सहयोग से इस अभियान की शुरुवात की गई है.
विद्यालय के छात्र प्रतिदिन पात्र में भरते हैं पानी
आदिवासी बाहुल्य इस गांव के विद्यालय में 305 छात्र पढ़ते हैं.छात्रों ने पक्षियों को दाना पानी उपलब्ध कराने के विद्यालय परिसर से लेकर पूरे पोषक क्षेत्र में जगह जगह मिट्टी के छोटे छोटे पात्र रखे हैं.इन पात्रों में दिन में एक से अधिक बार पक्षियों के लिए पानी भरते हैं.
अभियान को सफल बनाने छात्रों द्वारा निकाली गई जागरूकता रैली
ग्रामीणों को जागरूक करने के उद्देश्य से छात्रों द्वारा पोषक क्षेत्र में एक जागरूकता रैली निकाल कर पक्षियों को बचाना है ,दाना पानी देना है का नारा बुलंद किया.बढ़ती गर्मी को ध्यान में रखते हुए समुदाय के साथ मिलकर पक्षियों को बचाने का प्रयास किया जा रहा है.
विलुप्त ना हो पक्षी, सामूहिक प्रयास की है जरूरत: डॉ सपन
विद्यालय के प्रधानाध्यापक डॉ सपन कुमार का कहना है कि ग्लोबल वार्मिंग, बढ़ते तापमान, मोबाइल रेडिएशन एवं प्रदूषण का असर मानव जाति के साथ-साथ पशु पक्षियों पर भी बहुत ज्यादा पड़ा है.एक और जहां लगातार तापमान में वृद्धि होती जा रही है. वहीं कई पक्षियां विलुप्त हो चुकी है.हमारी वर्तमान पीढ़ी सिर्फ उनका नाम ही सुन रहा है.आने वाले समय में जो पक्षी बची हुई है उसे बचाने के लिए हम सभी को मिलकर प्रयास करने की आवश्यकता है. इसके लिए क्षेत्र में ग्रामीणों के सहयोग से पक्षियों के लिए दाना पानी की व्यवस्था विद्यालय परिसर के साथ साथ पोषक क्षेत्र के सभी विद्यार्थियों के घरों के आसपास किया गया है.
क्या कहते हैं गांव के मांझी हडाम
डुमरथर गांव के मांझी हडाम रामविलास मुर्मू ने कहा कि क्षेत्र में जलस्तर काफी नीचे चला गया है.ताल तलैया सुख चुके है.जिसका असर पशु पक्षियों पर सबसे अधिक पड़ रहा है.उसको ध्यान में रखते हुए दाना पानी अभियान चलाया जा रहा है.सचमुच डूमरथर गांव के ग्रामीण और छात्रों ने जो पहल शुरू की है, उसकी जितनी भी तारीफ की जाए कम होगी.आज के समय मे कई ऐसे जीव जंतु है तो या तो विलुप्त हो चुका है या विलुप्ति के कगार पर है.जो विलुप्ति के कगार पर है उसे आने वाली पीढ़ी के लिए तो संरक्षित किया ही जा सकता है और इसके लिए सामूहिक प्रयास की जरूरत है.डूमरथर के ग्रामीण और वहां के छात्रों को The News Post का सलाम है.
रिपोर्ट-पंचम झा