गोड्डा (GODDA): आपने चलते फिरते इंसान और रेंगते हुए कीड़े मकौड़े को तो देखा होगा. साथ ही आसमान में उड़ती पक्षियों औऱ जल में तैरती मछलियों को भी देखा होगा. लेकिन क्या आपने कभी घरों को चलते देखा है? अगर नहीं तो आज The News Post आपको एक ऐसा घर दिखाने जा रहा है जो जमीन पर रेंग रहा है और रेंगते हुए इसे 236 फ़ीट की दूरी तय करनी है. यह घर अपनी मंजिल की ओर रवाना हो चुका है. देखिए The News Post की खास रिपोर्ट.
घर को 236 फीट दूर किया जा रहा शिफ्ट
भारत की जुगाड़ टेक्नोलॉजी का कोई तोड़ नहीं है. कुछ ऐसा ही देशी जुगाड़ टेक्नोलॉजी का एक नायाब उदाहरण झारखंड के गोड्डा जिला में देखने को मिल रहा है. जहां पोड़ैयाहाट प्रखंड के रक्सा गांव में सुनील हांसदा के बने बनाये मकान को स्थानांतरित किया जा रहा है. इस काम के लिए कोई भारी भरकम मशीन नहीं लगाया गया है. बल्कि लोहे की पटरी, रॉड और जैक के सहारे लिफ्ट एंड पुश थ्योरी के आधार पर मकान को 236 फ़ीट दूर शिफ्ट करने की प्रक्रिया शुरू की गई है.
जानिए कैसे जुगाड़ के सहारे उठाया जाता है मकान
हम आपकों इस जुगाड़ टेक्नोलॉजी की पूरी प्रक्रिया को बताते हैं. सबसे पहले जैक के सहारे पूरे मकान को उठाया जाता है. कठोर सतह पर लोहे का पटरी रख कर पटरी पर रॉड के टुकरे को रखा जाता है. उसके ऊपर एक और पटरी रख कर जैक रखा जाता है. उसके बाद शुरू होती है घर को धक्का देने की प्रक्रिया. धक्का भी कोई भारी भरकम मशीन से नहीं बल्कि जैक नुमा मशीन के सहारे. इस तरह दो पटरी के बीच रखे लोहे की रॉड के सहारे धीरे धीरे मकान अपनी मंजिल की ओर बढ़ रहा है. पूरी प्रक्रिया में लगभग 2 महीने का समय लगने का अनुमान है.
जानिए क्यों किया जा रहा मकान को शिफ्ट
आप सोच रहे होंगे कि बने बनाये मकान को आखिर स्थानांतरित क्यों किया जा रहा है. दर असल हंसडीहा - महगामा एनएच 133 का निर्माण कार्य चल रहा है. सुनील हांसदा सहित कई लोगों का घर निर्माणाधीन एनएच 133 में आ गया. सरकार के स्तर से जमीन अधिग्रहण कर मुआवजा भी दिया गया. मुआवजा मिलने के बाद सभी से अपने अपने घरों को तोड़ कर हटाया लेकिन सुनील हांसदा ने तकनीक का सहारा लेकर बने बनाए मकान को नए जगह पर शिफ्ट करने के लिए संबंधित एजेंसी से संपर्क किया. कार्यकारी एजेंसी और गृहस्वामी के बीच मकान के क्षतिग्रस्त नहीं होने से संबंधित करार हुआ. इस प्रक्रिया में लगभग 7 से 8 लाख रुपए खर्च होंगे जबकि मकान तोड़कर नए सिरे से बनाने पर 20 लाख रुपये से ज्यादा खर्च वहन करना पड़ता. घरों को रेंगते देखने प्रतिदिन काफी संख्या में लोग पहुच रहे हैं. इंतजार है तो बस उस दिन का जब यह घर अपने मंजिल पर पहुंच कर रुकेगी.
रिपोर्ट. पंचम झा