रांची(RANCHI): सरना धर्म की कोड की मांग हमारी धार्मिक आजादी की मांग है, यह वर्षों की गुलामी से मुक्ति की राह है, शंकराचार्य दावा करते रहें कि हम हिन्दू है, लेकिन हम आर्यों के किसी टैग को ढोने के लिए बाध्य नहीं है, खुद शंकराचार्य विदेशी है, आर्यन है, हम उनके द्वारा दिये गये हिन्दू टैग को सिरे से खारिज करते हैं, हम ना तो हिन्दू है, मुस्लिम और ना ही ईशाई, किसी भी विदेश धर्म से हमारा कोई वास्ता नहीं है, हमारी सभ्यता, संस्कृति और धर्म उनसे जुदा है, हमारी पहचान सरना है और यही इस देश के आदिवासियों का धर्म है.
राजधानी रांची में सरनाधर्म महारैली
दरअसल ये बातें राजधानी रांची में सरनाधर्म महारैली के अवसर पर पत्रकारों को संबोधित करते हुए सरना धर्म गुरु बंधन तिग्गा ने कहा है. दावा किया जा रहा है कि इस महारैली में झारखंड, उड़ीसा, मध्यप्रदेश, बंगाल, आसाम के साथ-साथ भूटान, नेपाल और बंग्लादेश से लाखों सरना धर्मलम्बियों का आगमन हुआ है. सरना धर्मलंबियों की मांग जनगणना के कॉलम में आदिवासियों के लिए सरना धर्मकोड जोड़ने की है.
शंकराचार्य आदिवासियों को हिन्दू कहना बंद करें
इस दौरान जब बंधन तिग्गा को शंकराचार्य के उस बयान पर प्रतिक्रिया मांगी गयी, जिसमें शंकराचार्य ने यह दावा किया था कि आदिवासी भी हिन्दू है, तो बंधन तिग्गा ने शंकराचार्य के इस दावे को पूरी तरह से खारिज कर दिया, उन्होंने कहा कि उनकी जो भी मर्जी हो दावा करते रहें, लेकिन हम तो सरनाधर्मलंबी है, शंकराचार्य तो खुद विदेशी है, आर्यन है, आर्यों ने हमारे जल, जगंल और जमीन पर कब्जा जमाया, हमारी सभ्यता और संस्कृति पर उसके बाद ही खतरा उत्पन्न हुआ. हमें गुलाम बनाने की कोशिश हुई, वे तो हमें हिन्दू घोषित करेंगे ही, लेकिन हमारी मांग सरना धर्म कोड की हैं और यह कोड हम लेकर ही रहेंगे, केन्द्र सरकार को हमारा दावा स्वीकार करना पड़ेगा.