धनबाद(DHANBAD): मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन आज संथाल परगना के दौरे पर है. यहां हूल दिवस पर आयोजित कार्यक्रम में हिस्सा लेंगे. संभावना तो यह है कि झारखंड में चुनाव प्रचार का यही से शंखनाद कर सकते है. 2024 का चुनाव कितना गंभीर और चुनौतीपूर्ण होगा, इसका अंदाजा अभी से ही लगने लगा है. संथाल को तो सभी पार्टियां टारगेट में रखकर काम कर रही है. भाजपा को संथाल का राजमहल सीट खटक रहा है तो झारखंड मुक्ति मोर्चा को दुमका और गोड्डा सीट कांटा चुभा रहा है. राजमहल से झारखंड मुक्ति मोर्चा के सांसद हैं तो गोड्डा और दुमका से भाजपा के सांसद है. चुनाव को देखते हुए बयानबाजी भी जारी है. राज भवन पर टिप्पणी को लेकर जहां भाजपा आक्रामक है तो झारखंड मुक्ति मोर्चा भी भाजपा के खिलाफ बोलने से पीछे नहीं हट रहा है.
शिबू सोरेन ने रेल मंत्री को लिखा पत्र
इस बीच शिबू सोरेन ने रेल मंत्री को पत्र लिखकर बांग्ला भाषी बहुल इलाकों को चिन्हित करते हुए झारखंड के रेलवे स्टेशनों पर अभिलंब जनजातीय भाषाओं के साथ-साथ बांग्ला का भी प्रयोग करने की मांग कर डाली है. इसके लिए झारखंड के मुख्यमंत्री को भी पत्र लिखा गया है. पत्र में कहा गया है कि झारखंड 1912 तक बंगाल प्रेसीडेंसी का हिस्सा था. इसके बाद यह बिहार का हिस्सा बना. 1908 से ही भारतीय रेल अस्तित्व में आया. पूरे भारत में रेल लाइन बिछनी शुरू हुई. सुगम परिचालन के लिए स्टेशन और हाल्ट बनाए गए. दक्षिण बिहार का वर्तमान भूखंड झारखंड के सभी रेलवे स्टेशनों और हाल्टों के नाम अंग्रेजी, हिंदी, बंगला और कई विशेष स्थानों पर उड़िया शब्दों में नामांकित होता था लेकिन अब इसे हटा दिया गया है. शिबू सोरेन ने फिर से इसे स्थापित करने की मांग कर डाली है. मतलब साफ है कि वोटरों को अपनी और आकर्षित करने के लिए और प्रयास किए जाएंगे.
रिपोर्ट -धनबाद ब्यूरो