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झामुमो-कांग्रेस के बीच मचे घमासान के बीच समीर मोहंती का बयान आया सामने, बयान आते ही तमाम अटकलों पर लगा विराम

झामुमो-कांग्रेस के बीच मचे घमासान के बीच समीर मोहंती का बयान आया सामने, बयान आते ही तमाम अटकलों पर लगा विराम

टीएनपी डेस्क (TNP DESK) : जमशेदपुर के बाहरागोड़ा विधानसभा क्षेत्र से विधायक सह विगत लोकसभा चुनाव में जमशेदपुर संसदीय क्षेत्र से इंडी गठबंधन के प्रत्याशी समीर मोहंती इन दिनों एक पत्र कों लेकर काफ़ी चर्चे में है. हालांकि आज यानी शनिवार कों उन्होंने मीडिया के समक्ष सिरे से उस पत्र कों फर्जी बताते हुए इसके विरुद्ध एक्शन लेने की बातें कही है.

पत्र सोशल मीडियों पर तेजी से हो रहा था वायरल

बता दें विगत शुक्रवार से एक पत्र सोशल  मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा था. जिसमे विधायक समीर मोहंती का लेटर हेड इस्तेमाल किया गया था और उसमे पूर्व मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को लिखे गए पत्र कहा था कि चुनावी रणनीति के तहत जमशेदपुर लोकसभा के अंतर्गत आने वाले पूर्वी जमशेदपुर विधानसभा के मैनेजमेंट की जिम्मेवारी कांग्रेस के जिला अध्यक्ष आनंद बिहारी दुबे को दी गई थी. साथ ही प्रति बूथ पर 6 हजार  की दर से बूथ खर्च, कार्यक्रम और रैली के लिए उन्हें लगभग 25 लाख  रुपए भी दिए गए थे. उनका कर्तव्य था कि वह गठबंधन धर्म का पालन करते हुए तमाम सहयोगी पार्टियों के कार्यकर्ताओं के साथ कोआर्डिनेशन स्थापित कर काम करते, लेकिन उन्होंने झामुमो के कार्यकर्ताओं की उपेक्षा की. जिस वजह से असंतुष्ट झारखंड मुक्ति मोर्चा के कार्यकर्ताओं के लिए अतिरिक्त राशि का इंतजाम करना पड़ा. मतदान के दिन क्षेत्र भ्रमण के दौरान इस बात का पता चला कि पूर्वी जमशेदपुर विधानसभा के अधिकतर बूथों पर एजेंट तक नहीं बैठे थे. तब मुझे पता चला कि पूरी तरह से लापरवाही बरती गई है.  कुछ कार्यकर्ताओं ने यह भी बताया कि आपके द्वारा बूथ खर्च के रूप में प्रति बूथ दिए गए ₹6000 में से केवल ₹4000 ही बांटे गए. इतना ही नहीं , अधिकतर बूथों  पर रुपए भी नहीं  दिए गए और न हीं बूथ  कमेटी को बैठाया गया.   पत्र में उन्होंने यह भी  लिखा है कि  जीत -हार अपनी जगह है, किसी विधानसभा से आगे -पीछे होना भी अलग बात है.  पर कांग्रेस जैसी राष्ट्रीय पार्टी के जिला अध्यक्ष के पद पर होकर ऐसी हरकत करना पूरे संगठन को कलंकित करने जैसा है.  उन्होंने पार्टी से आग्रह किया है कि इस मामले को गंभीरता से लिया जाए और जिम्मेदार लोगों को चिन्हित कर कठोर अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाए.  पत्र में कहा गया  है कि चंद महीने बाद ही विधानसभा चुनाव होने हैं, अगर वक्त रहते अपने-अपने संगठन से ऐसे दागी लोगों को नहीं हटाया गया, तो आगे दुष्परिणाम झेलने पड़ सकते है.  पत्र की प्रतिलिपि मुख्यमंत्री चंपई सोरेन, अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के महासचिव  के सी वेणुगोपाल, झारखंड के कांग्रेस प्रभारी गुलाम अहमद मीर, झारखंड के प्रदेश अध्यक्ष राजेश ठाकुर, झारखंड मुक्ति मोर्चा के महासचिव विनोद कुमार पांडेय  को भी दी गई है.  

जानबूझ कर कोई करवाना चाहता है विवाद

इस पत्र पर विधायक समीर मोहांती ने आज शाम जवाब देते हुए सिरे से नकारते हुए फर्जी करार दिया है. साथ ही इसके पीछे के व्यक्ति पर करवाई की बातें भी कही, उन्होंने कहा की लोकसभा चुनाव के नामांकन के दिन ही जिला निर्वाचन पदाधिकारी ने उन्हें तमाम दायित्व और दायरा बता दिया था और उसी के आधार पर उन्होने कार्य किया था, उन्होंने कहा की उनके घटक दल कांग्रेस पार्टी और उनके बिच जानबुझ कर कोई विवाद उत्पन्न करवाना चाहता है, उन्होंने ये भी कहा की ऐसा भी हो सकता है की कांग्रेस पार्टी के ही अंदर का कोई व्यक्ति है जो ऐसा करवा रहे हैं. इस कारण वें खुद इसकी जाँच करवा रहें हैं, जिसके बाद वें इसपर कानूनी करवाई के लिए भी आगे बढ़ेंगे.

आखिर जवाब देने में क्यों हुई इतनी देरी

हालांकि ध्यान देने वाली बात यह है कि यह एक जिला का मामला था. लेकिन जब से यह मामला प्रकाश में आया उसके बाद से विवाद आगे बढ़ता गया. और देखते ही देखते झामुमो और कांग्रेस की बीच तकरार देखने को मिली. साथ ही इस साल के अंत में झारखंड विधानसभा का चुनाव होना है. ऐसे में गठबंधन पर इसका असर भी पड़ सकता था. लेकिन 24 घंटे बीत जाने के बाद विधायक समीर मोहांती के बयान ने सभी अटकलों पर विराम लगा दिया है और एक प्रशन भी छोड़ दिया है कि आखिर जब विधायक समीर मोहांती ने पत्र जारी नहीं किया था तो उन्हें जवाब देने में इतनी देरी क्यों हो गई.

 

Published at:15 Jun 2024 08:25 PM (IST)
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