टीएनपी डेस्क(Tnp desk):-चौतरफा चुनौतियों से जूझ रहे झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के लिए वक्त इम्तहान सरीखा गुजर रहा है. अपने भाषणों में उनका कहना है कि जहर लेकर षडयंत्रकारी घूम रहें है. भाजपा को एक आदिवासी का मुख्यमंत्री बनना खटक रहा है. उन्हें काल कोठरी में भेजने की साजिश रची जा रही है. ईडी का समन भिजवाकर डराया जा रहा है. सीएम सोरेन की पीड़ा रह-रहकर उभर आती है, उनकी विपक्ष को लेकर लगातार तल्खियां जुबान पर रहती है और हमलावर रुख अख्तियार दिखता है. जमीन घोटाले में जांच एजेंसी ईडी पांच बार समन भेज चुकी है और इसे लेकर सीएम सोरेन की याचिका भी हाईकोर्ट में खारिज हो चुकी है. फिलहाल, आगे इस पर क्या होगा इस पर नजर बनीं हुई है. इधर हाईकोर्ट से ही आचार संहिता मामले में हेमंत सोरेन के लिए एक राहत भरी खबर है.
आचार संहिता उल्लंघन का आरोप
झारखंड हाईकोर्ट में मंगलवार को मुख्यमंत्री सोरेन के खिलाफ जमशेदपुर की एक अदालत में कार्यवाही पर रोक लगा दी. जस्टिस एस.के दिवेदी ने 2014 में दर्ज एक दर्ज पर सुनवाई की जिसमें सीएम सोरेन पर आदर्श आचार संहिता के उल्लंघन का आरोप लगाया गया था. जस्टिस संजय कुमार द्विवेदी की पीठ ने राज्य सरकार को मामले में जवाब दाखिल करने का निर्देश देते कहा कि सोरेन के खिलाफ कोई दंडात्मक कदम नहीं उठाया जाना चाहिए. कोर्ट ने सरकार को जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया, मामले की अगली सुनवाई 21 नवंबर को होगी .
आखिर क्या था मामला
मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने 2014 के विधानसभा चुनाव के दौरान आदित्यपुर पुलिस स्टेशन में दर्ज एक मामले को लेकर अदालत में लंबित कार्यवाही को लेकर हाईकोर्ट में चुनौती दी थी. दरअसल, दावा किया जा रहा था कि सोरेन ने झारखंड मुक्ति मोर्चा के उम्मीदवार के लिए निर्धारित समय से अधिक वक्त देकर चुनाव का प्रचार किया था. इसे लेकर ही आदर्श आचार संहिता के उल्लंघन का आरोप लगाया गया था. हाईकोर्ट में अचार संहिता उल्लंघन के मामले की सुनवाई 21 नवंबर को होगी
आपको बता दे हाईकोर्ट ने 2022 में उनके खिलाफ इसी तरह के एक और मामले को रद्द कर दिया था. इस मामले में सोरेन पर 2019 विधानसभा चुनाव के दौरान वोट डालने जाते समय झामुमो लोगो वाला सैश पहनने का आरोप था.