टीएनपी डेस्क(Tnp desk):- 31 जनवरी की रात बेहद ही सर्द थी, लेकिन, इस अंधेरे और ठिठुठरती ठंड में झारखंड का सियासी पारा बेहद गर्म था. इसकी बेचैनी और अंदर ही अंदर अकुलाहट से इस तरह समझा जा सकता है, कि महागठबंधन के विधायक और जेएमएम के कार्यकर्ता पूर्व मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के लिए खड़े नजर आए.
चंपई सोरेन ने संभाल लिया मोर्चा
आखिरकर जमीन घोटाले के जो आरोप हेमंत पर लगे, इसके चलते जांच एजेंसी ईडी ने गिरफ्तार कर लिया. इसके बाद तो प्रदेश की सियासत और सियासी गलियारों में तूफान मच गया. हेमंत इस्तीफा देकर ईडी की गिरफ्त में आ गए और नए मुख्यमंत्री के तौर पर चंपई सोरेन का नाम सामने आया.
भाजपा लगातार मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को ईडी के डर से भागने और जमीन घोटाले में शामिल होने के आरोप लगा रही थी. विपक्ष के तेवर और उफान से जेएमएम भी झुंझला और घायल हो गयी थी. सवाल यहां पैदा हो रहा था कि हेमंत की गिरफ्तारी से क्या बीजेपी के मनसूबें सफल हो गये या फिर भाजपा को बेकफुट में आना पड़ गया .
ऑपरेशन लोटस हुआ हवा हवाई !
देख जाए तो एक हवा ऑपरेशन लोटस के नाम पर उड़ते रहती थी, भाजपा पर तोहमते कई बार लगी है कि विधायकों को तोड़फोड़ करने में माहिर है. इस सेंधमारी से सत्ता हासिल कर सकती है. लेकिन, अभी तक ऐसा कुछ भी नहीं दिखा.
जेएमएम, कांग्रेस और राजद के विधायक एकजुट नजर आए. हेमंत की गिरफ्तारी से पहले और बाद में भी सभी ने एकता का परिचय दिया. डर के चलते ही सभी 38 विधायक निजामों के शहर हैदराबाद एक आलीशान रिजॉर्ट में चले गये, ताकि किसी भी तरह के बिखराव से बचा जा सके और 5 फरवरी की बहुमत में चंपई सोरेन की सरकार को मदद की जाए. अभी तक के घटनाक्रम से देखे तो महागठबंधन की सरकार की सेहत पर कोई फर्क नहीं पड़ा . आराम से चंपई सोरेन ने शपथ ले ली और अब सोमवार को बहुमत साबित करेंगे. यानि किसी भी तरह की अड़चना नहीं दिखाई पड़ रही है.
भाजपा को कितना फायदा हुआ
दूसरा पहलू ये भी सामने आ रहा है कि क्या हेमंत की गिरफ्तारी से भाजपा को फायदा होगा, क्या इसे लोकसभा और विधानसभा चुनाव में भुनाने में सफल होगी . तो इसका जवाब समझा जाए तो ईडी की न्यायिक हिरासत में हेमंत अभी पांच दिनों की रिमांड पर चल रहे हैं. लैंड स्कैम में उनसे पूछताछ भी चल रही है. लेकिन, एक चिज देखा गया है कि उनके चेहरे पर न तो किसी तरह की मायूसी है और न ही शिकन दिख रहा है. सवाल यहां पैदा ये हो रहा है कि अगर जमीन घोटाले में हेमंत बेदाग निकले तो फिर भाजपा के लिए मुश्किल होगी. हेमंत शुरुआत से ही एक सियासी साजिश बता रहे हैं. जो एक आदिवासी मुख्यमंत्री के साथ षडयंत्र रचा जा रहा था.
यहां यह भी देख गया कि सरकार बनाने को लेकर भाजपा ने छिटपुट बयानबाजी ही की है. गोड्डा सांसद निशिकांत दुबे और दीपक प्रकाश ने ही बयानबाजी की . लेकिन, नई चंपई सरकार की एकजुटता को डिगा नहीं सकी . भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी भी कह चुके है कि चंपई सरकार को अस्थिर करने में कोई दिलचस्पी भाजपा की नहीं है.
झारखंड की इस कंपा देने वाली सर्दी में , जो सियासी भूचाल सामने आया और जो हलचले देखी गई, इससे तो यही लगता है कि भारतीय जनता पार्टी को जितनी हमलावर होनी चाहिए थी. उतनी नहीं दिखाई पड़ी . उधर महगठबंधन सरकार भी चंपई सोरेन के नेतृत्व में लगभग गठन कर ही लिया है. बस उसे बहुमत साबित करना है. अब देखना यही होगा कि आने वाले लोकसभा चुनाव में हेमंत की गिरफ्तारी से भाजपा को फायदा होता या फिर नुकसान
रिपोर्ट- शिवपूजन सिंह