रांची(RANCHI): इसलाम धर्म को मानने वाले लोगों के लिए बरकत और रहमतों का महीना शुरू हो गया.रमज़ान के पहले रोज़े के साथ आज दूसरी तरावीह की नामज अदा की जा रही है.इस्लाम धर्म में सबसे बेहतरीन महीना रमज़ान को माना जाता है.इस महीने में ही कुरआन नाजिल हुई है.इस महीने में सदका जकात(दान) असहाय लोगों को दिया जाता है.गरीबों की मदद अन्य दिनों के मुकाबले बढ़ चढ़ कर की जाती है.
बेसब्री से इस महीने का करते है इंतजार
इसलाम धर्म को मानने वाले लोग इस महीने का बेसब्री से इंतजार करते है. हर तरह एक अलग सी रौनक देखने को मिलती है.रोज़े के साथ-साथ नमाज़ अदा की जाती है.मस्जिद में विशेष तरावीह की नमाज़ अदा की जाती है.बता दें कि रमज़ान में फ़ज्र की नमाज़ से पहले सेहरी करने के बाद से ही, रोज़े की शुरुआत हो जाती है.इसके बाद मगरिब(शाम 6 बजे) की अज़ान के साथ इफ्तारी कर रोजा खोला जाता है. बता दें कि रमज़ान का महीना कभी 29 तो कभी 30 का होता है.चांद के ऊपर सारा दारोमदार होता है.चांद देखने के बाद ही महीना खत्म होता है.रमज़ान के महीने में हर मुसलमान के घर से कुरआन की सदाए बुलंद होती है.रमज़ान को लेकर अलग पकवान घर में बनते है.
इन बातों का रखे ख्याल
रोजे के दौरान कई तरह की पाबंदी भी रहती है.रोजे के हालात में किसी की चुगली पीठ पीछे करने से रोजा पूरा नहीं होता है.इसके अलावा रोजे के दौरान किसी को गाली या बुरी नजर से देखने से रोजा खराब हो सकता है.