रांची(RANCHI)- रामगढ़ उपचुनाव में मिली हार से कांग्रेस उभर नहीं पा रही है, कांग्रेस के अन्दर और बाहर के विक्षुब्धों को हार की मुख्य वजह प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष राजेश ठाकुर की चुनावी रणनीतियों में खोट नजर आती है, उनका दावा है कि राजेश ठाकुर और उनकी टीम ने तो चुनाव से पहले ही अपनी हार मान ली थी, वह तो भला को सीएम हेमंत की रैली और ममता देवी के प्रति लोगों में मौजूद सहानुभूति की लहर का जिसके कारण कुछ वोट कांग्रेस को मिल गये, नहीं तो राजेश ठाकुर ने तो पूरी नैया ही डूबा दी थी.
अपने इस्तीफे की मांग को राजेश ठाकुर ने होली की ठिठोली करार दिया था
हालांकि प्रदेश अध्यक्ष राजेश ठाकुर अपने इस्तीफे की मांग को होली की ठिठोली करार दे रहे हैं. लेकिन विक्षुब्धों हार की नैतिक जिम्मेवारी स्वीकार करते हुए राजेश ठाकुर से इस्तीफे की मांग पर अड़े हुए है. उनका सीधा सवाल है कि आखिर विधायक इरफान अंसारी,नमन विक्सल कोंगाड़ी और राजेश कच्छप को चुनावी प्रचार में क्यों नहीं लगाया गया, जबकि इन सबों के पास राजेश ठाकुर से कहीं ज्यादा जमीनी पकड़ और सामाजिक जनाधार है.
राजेश ठाकुर के विधान सभा में कांग्रेस को मिले थें 116 वोट
उनका दावा है कि राजेश ठाकुर की जमीनी पकड़ का इसके भी अंदाज लगाया जा सकता है कि इनके खुद का विधान सभा क्षेत्र में कांग्रेस को महज 116 वोट मिले थें, अब इस प्रकार के जनाधार विहीन नेता को कांग्रेस का अध्यक्ष कैसे बनाया जा सकता है.
प्रदेश नेतृत्व में बदलाव नहीं होने पर मुश्किल होने वाला है 2024 का चुनाव
पूर्व कांग्रेसी आलोक दुबे, लालकिशोर नाथ शाहदेव और कांग्रेस अनुशासन समिति के सदस्य शमशेर आलम का दावा है कि चुनाव के पहले जीत की जो रणनीति बनायी गयी थी, राजेश ठाकुर ने उसपर अमल ही नहीं किया, और एक सोची समझी रणनीति के तहत बजरंग महतो को हराया गया, यदि इसके बावजूद भी आलाकमान प्रदेश नेतृत्व में बदलाव नहीं करता है, तो हमें 2024 के चुनाव में और भी बुरी स्थिति का सामना करना पड़ सकता है.