रांची(RANCHI): झारखंड में राज्यपाल और सरकार के बीच लगातार खींचतान जारी है. अब नया विवाद TAC को लेकर है. हालांकि ये विवाद पुराना है, मगर, इसमें आज एक नया मोड़ आया है, जिसने राजभवन और सरकार के बीच चल रही खींचतान में फिर से आग में घी डालने का काम किया है. दरअसल, राज्यपाल रमेश बैस ने TAC के गठन पर सवाल उठाया था और इसे गैर संवैधानिक भी करार दिया है. उन्होंने इस बारे में राज्य सरकार को चिट्ठी लिख कर इसे पांचवी अनुसूची का उल्लंघन भी बताया है. मगर, सरकार की ओर से इसका कोई जवाब नहीं दिया गया. जवाब नहीं मिलने के बाद राज्यपाल ने आदिवासी कल्याण विभाग के मंत्री, सचिव और टीडब्ल्यूसी को चिट्ठी लिखकर बुधवार यानी कि 21 दिसंबर को बैठक बुलायी थी. मगर, मंत्री जोबा मांझी, सचिव के श्रीनिवासन और टीडब्ल्यूसी की तरफ से कोई भी इस बैठक में शामिल होने नहीं पहुंचा. इसके पीछे विभाग ने कारण बताया कि विधानसभा में जारी सत्र की वजह से वो बैठक में शामिल नहीं हो सकते हैं.
ऐसे में फिर से राज्यपाल और सरकार के बीच गहमागहमी बढ़ गई है. बताया जा रहा है कि राज्यपाल रमेश बैस इससे काफी नाराज हैं और वो जल्द ही कोई बड़ा कदम उठा सकते हैं.
क्या है विवाद?
दरअसल, विवाद का कारण TAC के गठन है. झारखंड सरकार ने TACगठन से संबंधित फाइल राजभवन भेजी थी. मगर, स्वीकृति देने के बजाए राजभवन ने इसे असंवैधानिक करार दे दिया और फाइल को वापस लौटा दिया. इसके साथ ही कुछ जरूरी संशोधन का भी निर्देश राजभवन ने दिया था. मगर, राज्य सरकार ने इस संशोधन को दरकिनार कर दिया और बिना संशोधन के ही TAC की बैठक बुला ली. इसे लेकर ही विवाद हुआ. राज्यपाल ने फाइल वापस लौटाते हुए कहा था कि टीएसी के गठन में कम से कम दो सदस्यों का मनोनयन राजभवन की तरफ से होना चाहिए. इसके अलावा पांचवीं अनुसूची के तहत नियमावली पर भी उनकी स्वीकृति जरूरी थी.
राज्यपाल की बजाए मुख्यमंत्री को दिए गए अधिकार
मगर, इन सबके बावजूद झारखंड सरकार ने TAC की नई नियमावली गठित कर दी. इस नियमावली में स्पष्ट कर दिया कि फाइल को स्वीकृति के लिए राजभवन नहीं भेजा जाएगा. साथ ही TAC के गठन और इसके सदस्यों की नियुक्ति में भी राजभवन का अधिकार नहीं होगा. राज्य सरकार द्वारा गठित TAC की नई नियमावली में सारे अधिकार मुख्यमंत्री को दे दिए गए, जबकि पहले ये अधिकार राज्यपाल के पास था. इसी कारण बात करने के लिए राज्यपाल ने मंत्री और अधिकारी को राजभवन बुलाया था. मगर, विधानसभा सत्र का हवाला देकर मंत्री और अधिकारी राजभवन नहीं पहुंचे.