धनबाद(DHANBAD): धनबाद रेल मंडल के लिए गुरुवार का दिन ऐतिहासिक रहा. पूर्व मध्य रेलवे के लिए 1822 करोड रुपए की लागत से एक सब अंब्रेला वर्क को मंजूरी दी गई. सब अंब्रेला वर्क के तहत पूर्व मध्य रेलवे के बाकी रूट पर "कवच" के लिए का प्रस्ताव किया गया है. जिस पर 960.66 करोड़ रुपए खर्च होंगे. यह इंतजाम 22 00 किलोमीटर रेल रूट पर होगा. बता दे कि पूर्व मध्य रेलवे में पांच मंडल हैं, जिनमे दानापुर, धनबाद, मुगलसराय, सोनपुर और समस्तीपुर शामिल है. केंद्रीय रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने पूर्व मध्य रेल के शेष मार्गों पर स्वदेशी सुरक्षा प्रणाली ‘कवच’ लगाने के बड़े प्रोजेक्ट को मंजूरी दे दी है.
अम्ब्रेला वर्क 2024-25 के तहत वर्क्स, मशीनरी एवं रॉलिंग स्टॉक प्रोग्राम 2024-25 के अंतर्गत भारतीय रेलवे के बाकी रूट पर "कवच" के प्रावधान को मंजूरी प्रदान की गयी है. अम्ब्रेला वर्क की लागत 27,693 करोड़ रुपये है. इसके तहत पूर्व मध्य रेल के लिए 1,822 करोड़ रुपये की लागत से एक सब-अम्ब्रेला वर्क को मंज़ूरी दी गई है. सब-अम्ब्रेला के तहत् पूर्व मध्य रेल के बाकी रूट्स पर कवच के प्रावधान (2200 रूट किलोमीटर) का प्रस्ताव किया गया है. जिसपर 960.66 करोड़ रूपए की लागत लगेगी .
‘कवच’ भारतीय रेलवे द्वारा विकसित एक स्वदेशी ऑटोमैटिक ट्रेन प्रोटेक्शन सिस्टम है, जो ट्रेन टक्कर रोकने, गति नियंत्रण करने, सिग्नल पासिंग की गलतियों को रोकने और आपात स्थितियों में स्वचालित ब्रेक लगाने की क्षमता रखता है. घनी आबादी और उच्च ट्रैफिक वाले पूर्व मध्य रेल जोन में इसकी उपयोगिता और बढ़ जाती है. यह सिस्टम रेडियो, GPS और RFID जैसी तकनीकों का उपयोग करके ट्रेनों को सुरक्षित दूरी पर रखता है और खतरे की स्थिति में अपने आप ब्रेक लगाकर ट्रेन को सुरक्षित गति पर लाता है, जिससे यात्रियों की जान-माल की सुरक्षा सुनिश्चित होती है और यह 'ट्रेन का एयरबैग' कहलाता है.
यह एक उच्च सुरक्षा मानक (SIL-4) वाली इलेक्ट्रॉनिक प्रणाली है, जो ऑप्टिकल फाइबर केबल, टेलीकॉम टावर और ट्रेनों व पटरियों पर लगे उपकरणों के जरिए काम करती है. अगर लोको पायलट खतरे का सिग्नल पार करता है या निर्धारित गति से ज़्यादा चलता है, तो यह सिस्टम तुरंत लोको पायलट को अलर्ट करता है और स्वचालित रूप से इमरजेंसी ब्रेक लगा देता है. यह दो लोकोमोटिव (इंजनों) को एक ही ट्रैक पर एक-दूसरे के करीब आने से रोकता है, जिससे आमने-सामने की टक्कर से बचाव होता है. यह खराब मौसम में भी लोको पायलट को सिग्नल की जानकारी सीधे इंजन में दिखाता है, जिससे सिग्नल पढ़ने में आसानी होती है.
रिपोर्ट -धनबाद ब्यूरो
