धनबाद(DHANBAD) | इधर, अयोध्या में प्राण प्रतिष्ठा होगी और उधर राहुल गांधी भारत न्याय यात्रा पर होंगे. बुधवार को राहुल गांधी के भारत न्याय यात्रा की अधिकारिक घोषणा हो गई. यह यात्रा 14 जनवरी से शुरू होगी और 20 मार्च को खत्म होगी. यात्रा पूरब से चलकर पश्चिम की ओर जाएगी. इस यात्रा में पैदल के साथ-साथ वाहन का भी उपयोग किया जाएगा. इसके पहले कल यानि 28 दिसंबर को नागपुर में कांग्रेस नेताओं का जुटान होगा. नारा गूंजेगा "है हम तैयार", कांग्रेस कल अपना 138 वा वर्षगांठ मना रही है. इसके पहले राहुल गांधी भारत जोड़ो यात्रा निकाल चुके है. इस यात्रा को राहुल गांधी की उपलब्धि के रूप में देखा गया. चर्चा तो पहले से ही थी कि राहुल गांधी एक और यात्रा करेंगे, लेकिन ऐसा लगता है कि छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश और राजस्थान का चुनाव हारने के बाद कांग्रेस में नई ऊर्जा का संचार करने के लिए भारत न्याय यात्रा निकल रही है. यह बात भी सच है कि जब यह यात्रा खत्म होगी, उस समय संभव है कि लोकसभा चुनाव की घोषणा हो गई हो.
गठबंधन अगर सही रहा तो सीट शेयरिंग की बात भी पक्की हो चुकी होगी
गठबंधन अगर सही रहा तो सीट शेयरिंग की बात भी पक्की हो चुकी होगी. मतलब सीट शेयरिंग की जिम्मेवारी ,जिस तरह पांच नेताओं की समिति को दिया गया है, संभव है कि उनके निर्णय और प्रस्ताव में कुछ बदलाव कर मान लिया जाए. 14 जनवरी से 20 मार्च तक ही यात्रा क्यों ,इस पर कांग्रेस नेताओं का कहना है कि कुछ अड़चने आ गई थी. इस वजह से यात्रा पहले नहीं निकल सकी. तो क्या यह बात सच नहीं है कि छत्तीसगढ़, राजस्थान और मध्य प्रदेश में कांग्रेस का अतिविश्वास ही कांग्रेस को ले डूबा. तीन राज्यों में अगर कांग्रेस जीती होती तो उसका तेवर कुछ और होता. लेकिन आज कांग्रेस का तेवर कुछ अलग है. वह डिफेंसिव खेल रही है. इधर, भाजपा राम जन्मभूमि की उपलब्धि को भुनाने का प्रयास करेगी और उधर राहुल गांधी भारत न्याय यात्रा पर होंगे. ऐसा माना जा सकता है कि अगर भारत न्याय यात्रा के बाद भी राहुल गांधी के खाते में लोकसभा की कुछ सीटें नहीं जुड़ी और फिलहाल की 51 सीटों से भी कम सीटें आई तो राहुल गांधी का राजनीतिक कैरियर अस्त माना जा सकता है. यह बात अलग है कि स्थितियां भी बदली है और इंडिया गठबंधन बना है. फिर भी कांग्रेस को तो अपना स्टेक दिखाना और बताना होगा. अगर सीटें बढ़ी तो फिर राहुल गाँधी का कद भी बढ़ जाएगा.
रिपोर्ट -धनबाद ब्यूरो