रांची(RANCHI)रामगढ़ विधानसभा उपचुनाव का रिजल्ट आ गया. सबको पता चल गया है किही एनडीए की प्रत्याशी सुनीता चौधरी जीत गई.जीत ही नहीं बल्कि अच्छी मार्जिन से उन्होंने जीत दर्ज की है. भाजपा और आजसू ने संयुक्त रूप से यह चुनाव लड़ा था. इसलिए इसे एनडीए की जीत मानी जा रही है.इस जीत पर आजसू के लोग तो नाचे- गाए ही, भाजपा भी कम नहीं इतरा रही है.
एनडीए की जीत के कई कारण
हम इस जीत-हार का विश्लेषण कर रहे हैं.एनडीए की जीत के कई कारण रहे. भाजपा और आजसू का या गठबंधन वैसे तो कोई नया नहीं है. हां,यह बात अलग है कि 2019 के विधानसभा चुनाव के बाद फिर से टूटे डोर को जोड़ने की कोशिश की गई. इस जीत से भाजपा को भी खुशी इस बात की हुई है कि कम से कम हारने का सिलसिला तो टूटा है. भाजपा के प्रदेश नेताओं के लिए यह एक संतोष की बात है. प्रदेश अध्यक्ष दीपक प्रकाश और भाजपा विधायक दल के नेता बाबूलाल मरांडी को थोड़ा मानसिक शांति मिली होगी.
आजसू की जीत के कारण को समझिए
ममता की तुलना में उसके पति बजरंग महतो की सक्रियता क्षेत्र में नहीं रही, जबकि सुनीता चौधरी और उनके पति चंद्र प्रकाश चौधरी हमेशा सक्रिय बने रहे
- गठबंधन दलों के नेताओं में अति आत्मविश्वास दिखा, वही आजसू के नेताओं ने जमीनी तैयारी की
- ममता देवी ने अपने 3 साल के कार्यकाल में कोई उल्लेखनीय काम नहीं किया, चंद्र प्रकाश चौधरी के कार्यकाल में हुआ काम लोगों ने याद किया
- मतदाताओं को रिझाने का कांग्रेस की ओर से प्रयास कंजूसी भरा रहा, जबकि आजसू ने दिल खोलकर मतदाताओं का दिल जीतने का प्रयास किया
- आजसू से रूठे लोगों को पार्टी के प्रमुख नेताओं ने भरसक मनाने का प्रयास किया, वहीं कांग्रेसी नेताओं ने ऐसा कुछ नहीं किया
- सामाजिक समीकरण को साधने में आजसू पार्टी सफल रही, कांग्रेस को परंपरागत वोट भी पर्याप्त नहीं मिले
- चुनाव प्रचार में ममता देवी का मासूम बच्चा को लाना लोगों को पसंद नहीं आया, एनडीए नेताओं ने विकास के मुद्दे को ज्यादा तरजीह दी
- मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने तो पूरी ताकत लगाई.पर उनका जलवा भी बहुत असर नहीं डाला, एनडीए नेताओं ने सरकार की विफलताओं को उजागर करने में सफलता पाई
- 1932 खतियान आधारित स्थानीय नीति और नियोजन नीति पर सरकार का स्टैंड भी यहां के युवाओं को अच्छा नहीं लगा
- रामगढ़ विधानसभा क्षेत्र में पिछले 2 महीने में हुई आपराधिक घटनाओं का भी इस चुनाव परिणाम पर असर दिखा
राजनीतिक विश्लेषक मानते हैं कि गठबंधन सरकार के कामकाज का भी इस चुनाव परिणाम पर असर अच्छा खासा रहा है. आजसू की ओर से अधिकांश जगहों पर मतदाताओं को साधने का प्रयास किया गया।आजसू का चूल्हा प्रमुख कार्यक्रम अपने समर्थक मतदाताओं को बूथ तक लाने में सहायक साबित हुआ. आजसू की ओर से पार्टी के सुप्रीमो सुदेश महतो भी खूब मेहनत किए. पार्टी के अन्य नेता और कार्यकर्ता भी साथ लगे रहे. भाजपा नेताओं ने भी ईमानदारी से काम करने का भरपूर प्रयास किया.आजसू प्रमुख सुदेश महतो ने साफ तौर पर कहा कि उनकी पार्टी भाजपा के साथ विकास के मुद्दे पर चुनाव लड़ी. मतदाताओं ने इस विषय को बहुत समझा. इसके अलावा सरकार की कथित नाकामी भी एक कारण रही. भाजपा अध्यक्ष दीपक प्रकाश ने कहा कि हेमंत सरकार में अनाचार अत्याचार इतने बढ़ गए हैं कि लोग इस सरकार से निजात पाना चाहते हैं. यह चुनाव परिणाम उसी का संदेश देता है. सरकार में मंत्री मिथिलेश ठाकुर ने कहा कि अभी हम लोग 4-1 से आगे हैं यानी 4 जीते हैं और एक हारे हैं. कांग्रेस विधायक इरफान अंसारी ने कहा कि इस हार से सदमा लगा है. इस हार का विश्लेषण होना चाहिए.
बहरहाल, इस हार जीत से दोनों यानी यूपीए और एनडीए को संदेश जाता है. संदेश यह है कि अति आत्मविश्वास और आंख मूंदकर चुनाव नहीं लड़ा जाता है. जनता के मन मस्तिष्क पर काम का असर भी डालने का प्रयास होना चाहिए. वहीं एनडीए के घटक दलों को भी यह संदेश जाता है कि आने वाले समय में एकजुट होकर ईमानदारी के साथ चुनाव लड़ने से परिणाम अच्छा आएगा.