धनबाद(DHANBAD): अब तक भारतीय जनता पार्टी को पानी पी- पीकर कोसने वाले उत्तर प्रदेश के ओमप्रकाश राजभर अब भाजपा के साथ आ गए है. इधर विपक्षी एकता की कवायद चल रही है तो इसके जवाब में भाजपा अधिक से अधिक सहयोगी दलों को एक छत के नीचे लाने की लगातार कोशिश कर रही है. इसी क्रम में ओमप्रकाश राजभर को एनडीए में शामिल किया गया है. राजभर के एनडीए में शामिल होने के बाद शिवपाल सिंह यादव ने ट्वीट किया है और कहा है कि बाजा बजाते बजाते खुद ही बैंड बन गए, अब तो इनका समाज भी इनकी असलियत समझ चुका है कि असल में किसी के नहीं है. अब तो यह महोदय अपने समाज के ठेकेदार भी नहीं रहे.दरअसल ,भाजपा पूर्वांचल के किसी भी लोकसभा सीट पर हारना नहीं चाहती है.
पूर्वांचल की कोई सीट गवाना नहीं चाहती भाजपा
हर हाल में पूर्वांचल के सीटों को अपने कब्जे में करना चाहती है. 2019 के लोकसभा चुनाव में पूर्वांचल में भाजपा को अंबेडकरनगर, आजमगढ़, गाजीपुर, घोसी ,लालगंज और जौनपुर से हार मिली थी. देश में अब आमने-सामने चुनाव लड़ने की कवायद पर काम हो रहा है. विपक्षी एकता की बैठक जहां सोमवार से शुरू हो गई है, वही एनडीए घटक दल दिल्ली में 18 जुलाई को बैठेंगे. विपक्षी एकता के लिए बैठक 17 से बेंगलुरु में शुरू हो गई है. बिहार में विपक्षी एकजुटता के लिए पूर्व में हुई बैठक में 15 दल शामिल हुए थे तो कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष द्वारा बेंगलुरु में बुलाई गई बैठक में 26 दलों को निमंत्रण भेजा गया है. उधर, एनडीए भी 18 जुलाई को दिल्ली में बैठक करेगा. भाजपा किसी भी हालत में इस बार प्रचंड बहुमत हासिल करना चाहती है तो विपक्षी दल एकजुट होकर भाजपा को हराने की कवायद में लगे हुए है.ओमप्रकाश राजभर को एनडीए में शामिल करना इसी दिशा में एक कदम है.
राजेंद्र प्रसाद और जयप्रकाश नारायण की धरती से उठी है मांग
बिहार ने विपक्षी एकता में भूमिका निभाई है. यह राजेंद्र प्रसाद और जयप्रकाश नारायण की धरती है. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की पहल से ही एक दूसरे के विरोधी 2024 में भाजपा से सीधे मुकाबले के लिए एक मंच पर जुट रहे है. इसको देखते हुए बिहार के दलों के साथ-साथ उत्तर प्रदेश सहित अन्य दलों को अपने साथ जोड़ने की कवायद भाजपा ने भी शुरू कर दी है. 18 को एन डी ए की बैठक में कौन कौन शामिल होते हैं, यह तो उसी दिन पता चलेगा. लेकिन प्रयास तेज हो गए है. कांग्रेस पार्टी ने आप को भी मना लिया है. जिसके लिए अरविंद केजरीवाल नाराज चल रहे थे, उस डिमांड को कांग्रेस ने मान ली है और अरविंद केजरीवाल भी बंगलुरु बैठक में शामिल होंगे. विपक्षी दलों की योजना है कि बंगाल, बिहार और उत्तर प्रदेश , महाराष्ट्र सहित अगर भाजपा को रोकने में सफल हो गए तो परिदृश्य बदल सकता है. देखना है आगे क्या होता है लेकिन सामने भाजपा है और भाजपा का भी प्रयास है कि अधिक से अधिक घटक दलों को साथ लाया जाए. कुल मिलाकर कहा जा सकता है कि 2024 का चुनाव भाजपा के लिए न आसान होगा और ना विपक्षी दलों के लिए. अभी कितने कील कांटे फसेंगे. जिन्हे निकलना किसी के लिए आसान नहीं होगा.