धनबाद: धनबाद लोकसभा के चुनावी अखाड़े में कूदे उम्मीदवार दावा तो कर रहे हैं कि उन्हें जनता का भरपूर आशीर्वाद मिल रहा है. सब अपने-अपने ढंग से आशीर्वाद लेने की कोशिश भी कर रहे हैं. लेकिन इस दौरान उन्हें सवालों का भी सामना करना पड़ रहा है.सवाल तो कई हैं लेकिन कुछ केंद्र सरकार के हिस्से के सवाल चिपक गए हैं.इनसे बचने के जितने प्रयास किए जा रहे हैं,और अधिक चिपकते जा रहे है.यह अलग बात है कि प्रत्याशी खुद को सक्षम और धनबाद का सबसे बड़ा हितैषी बता कर समर्थन मांग रहे हैं. कोई राष्ट्रीय मुद्दों पर भी बात कर रहा है लेकिन यह बात भी सच है कि स्थानीय मुद्दे पीछा नहीं छोड़ रहे हैं .
धनबाद लोकसभा में 6 विधानसभा क्षेत्र हैं. सभी विधानसभा क्षेत्र की अलग-अलग समस्या है. कुछ तो ऐसी भी समस्याएं हैं, जो सभी विधानसभा में विद्यमान है. लोग सवाल पूछ रहे हैं कि धनबाद रेल मंडल राजस्व देने में नंबर एक है, फिर भी धनबाद को दिल्ली के लिए सीधी ट्रेन नहीं मिली. कुछ ट्रेन छीन ली गई. आज भी धनबाद से कई बड़े शहरों को ट्रेन नहीं चलती. एक दो ट्रेनें यहां से होकर गुजरती जरूर है लेकिन उनमें भी कोटा नहीं के बराबर है. धनबाद रेल मंडल को जोन बनाने की मांग भी बहुत पुरानी है. लेकिन इसे आज तक पूरा नहीं किया गया. लोग उम्मीद कर रहे हैं कि प्रत्याशी इस पर भी कुछ बोलेंगे. प्रत्याशियों से लोग उनका रोड मैप जानना चाहते हैं. लेकिन रोड मैप किसी के पास है नहीं.
धनबाद राजस्व के मामले में तो बहुत पहले से अव्वल रहा है. बिहार में भी था और झारखंड में भी है. यहां बड़े-बड़े संस्थान हैं, लेकिन धनबाद को आज तक एयरपोर्ट नहीं मिला. माफिया उन्मूलन के समय धनबाद से पटना के बीच उड़ान सेवा शुरू हुई थी लेकिन तकनीकी कारणों से बंद हो गई. धीरे-धीरे धनबाद का एयरपोर्ट हेलीपैड बनकर रह गया .नए एयरपोर्ट के लिए आंदोलन चलते रहे, अब भी चल रहे हैं, लेकिन कोई लाभ नहीं मिला. नतीजा है कि धनबाद में ना कोई बड़ा निवेश आ रहा है और ना कोई उद्योग खुल रहे हैं. उच्च शिक्षा का भी यही हाल है. यह अलग बात है कि आईआईटी आईएसएम ,बी आई टी सिंदरी जैसे संस्थान जरूर हैं, लेकिन यह संस्थान पर्याप्त नहीं है. बच्चे उच्च शिक्षा के लिए धनबाद छोड़कर बाहर जा रहे हैं. चुनाव लड़ रहे प्रत्याशी इन मुद्दों से किनारा करना चाहते हैं लेकिन यह मुद्दे ऐसे हैं जो चिपके हुए हैं.
रिपोर्ट: धनबाद ब्यूरो