दुमका (DUMKA): झारखंड में विधानसभा चुनाव की डुगडुगी कभी भी बज सकती है. जिसे देखते हुए हेमंत सोरेन सरकार पूरी तरह से चुनावी मोड में आ गई है. जनहित से जुड़ी नित नए फैसले लिए जा रहे हैं. 2 दिन पूर्व कैबिनेट की बैठक में जिन प्रस्तावों पर मोहर लगी उसमें एक पोषण सखी की सेवा पुनर्बहाली का भी मामला है. जिसको लेकर जगह-जगह जश्न का माहौल है.
रघुवर दास के समय मे हुई थी पोषण सखी की बहाली
बता दें कि वर्ष 2014 में भाजपा झारखंड की सत्ता पर काबिज हुई. रघुवर दास राज्य के मुखिया बने. मुख्यमंत्री ने कुपोषण मुक्त झारखंड का सपना देखा और इसे साकार करने के लिए दुमका, गोड्डा, धनबाद, गिरिडीह, कोडरमा और चतरा जिलों में मानदेय आधारित अतिरिक्त आंगनबाड़ी सेविका सह पोषण सखी की बहाली कर डाली. केंद्र और राज्य सरकार के सहयोग से पोषण सखी को मानदेय मिलने लगा.
1 अप्रैल 2022 से सेवा हुई समाप्त
वर्ष 2017 से केंद्र सरकार ने इस मद में राशि देना बंद कर दिया. वर्ष 2019 में झामुमो के नेतृत्व में सरकार बनी. पोषण सखी बकाया मानदेय भुगतान की मांग को लेकर लगातार आंदोलन कर रही थी. राज्य सरकार ने समीक्षा के उपरांत पोषण सखी की सेवा समाप्त करने और बकाया मानदेय का भुगतान आईसीडीएस के दूसरे मदों के राज्यांश से करने का निर्णय लिए. 1 अप्रैल 2022 से राज्य के 10388 पोषण सखी की सेवा समाप्त हो गयी.
सड़क से सदन तक आंदोलन करते नजर आयी पोषण सखी
सेवा समाप्त होने के बाद पोषण सखी सड़क से लेकर सदन तक आंदोलन करते नजर आयी. इनकी बस एक ही मांग थी कि पोषण सखी की सेवा पुनर्बहाल किया जाए. आखिरकार हेमंत सोरेन की सरकार ने पोषण सखी के दर्द को समझा और सेवा पुनर्बहाल करने का निर्णय लिया.
10388 पोषण सखी के चेहरे पर लौटी मुस्कान
सेवा पुनर्बहाली को लेकर केबिनेट का मोहर लगते ही पोषण सखी के चेहरे पर मुस्कान लौट आयी. मुरझाए चेहरे अचानक खिल उठे. दुमका में पोषण सखियों द्वारा बिजय जुलूस निकाला गया. एक दूसरे को अबीर गुलाल लगा कर बधाई दी. नाचते झूमते पोषण सखियां खिजुरिया स्थित विधायक बसंत सोरेन के आवास पहुचीं. विधायक को धन्यवाद देने के साथ-साथ सरकार के प्रति आभार जताया.
हेमंत है तो हिम्मत है:- प्रदेश अध्यक्ष, पोषण सखी संघ
पोषण सखी संघ के प्रदेश अध्यक्ष मानवेला मुर्मू ने कहा यह साबित हो गया है कि हेमंत है तो हिम्मत है. उन्होंने कहा की सेवा समाप्त होने के बाद पोषण सखियों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ा. घर चलाने से लेकर बच्चों की शिक्षा दीक्षा भी प्रभावित हुई. लेकिन अब हेमंत सोरेन की सरकार ने 10388 पोषण सखी की सेवा पुनर्बहाल कर खोया हुआ सम्मान देने का काम किया है. सरकार के फैसले ने पोषण सखी को नया जीवन दिया है.
सरकार ने आधी आवादी को दिया पूरा सम्मान: विधायक बसंत सोरेन
वहीं मीडिया से बात करते हुए विधायक बसंत सोरेन ने कहा कि सरकार निरंतर यहां की मां, बहन और बेटियों के लिए जागरूक रही है. सरकार इस बात की पक्षधर है कि यहां के लोगों को पूर्ण अधिकार मिलनी चाहिए. इसको लेकर नित नए फैसले ले रही है. हेमंत सोरेन की सरकार ने आधी आबादी को पूरा सम्मान देने का काम किया है. पोषण सखियों के सहयोग से राज्य को एक नई दिशा मिलेगी.
10388 पोषण सखी नहीं बल्कि 20388 परिवार हुए खुश
चुनावी वर्ष में हेमंत सोरेन की सरकार जिस तरह नित नए फैसले ले रही है. उसे देख कर लगता है कि सरकार विपक्षी के लिए कोई मुद्दा छोड़ना नहीं चाहती. पोषण सखी के मामले में राजनीति के जानकार का कहना है कि यह सिर्फ 10388 पोषण सखी का सवाल नहीं बल्कि 10388 परिवार का सवाल है. और सेवा वापस कर सरकार ने अपना वोट सुनिश्चित कर लिया.
रिपोर्ट. पंचम झा