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झारखंड में सरना धर्म कोड पर सियासत तेज़, जानिए आखिर कितना जरूरी है सरना धर्म कोड

झारखंड में सरना धर्म कोड पर सियासत तेज़, जानिए आखिर कितना जरूरी है सरना धर्म कोड

रांची(RANCHI ):झारखंड में एक बार फिर से सरना धर्म कोड को लेकर सियासी सरगर्मी तेज हो गई है. बता दें कि इसकी शुरुआत मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने प्रधानमंत्री को चिट्ठी लिखकर की है. मुख्यमंत्री के चिट्ठी लिखने के बाद अब कांग्रेस ने भी समर्थन किया है और आदिवासी समुदाय के लिए जनगणना में सरना धर्म के लिए अलग कोड की मुख्यमंत्री की मांग का समर्थन करते हुए भाजपा पर जमकर निशाना साधा है. लेकिन दूसरी ओर अलग सरना धर्म कोड को लेकर अभी भारतीय जनता पार्टी के नेता दुविधा में दिखते हैं..

आखिर क्या है सरना धर्म कोड का मतलब

सरना धर्म कोड की मांग का मतलब यह है कि भारत में होने वाली जनगणना के दौरान प्रत्येक व्यक्ति के लिए जो फॉर्म भरा जाता है उसमें दूसरे सभी धर्मों की तरह आदिवासियों के धर्म का जिक्र करने के लिए अलग से एक कॉलम बनाया जाए ताकि आदिवासियों को उनका हक और अधिकार मिल सके.जिस तरह अन्य समुदाय के लिए कॉलम बनाया जाता है.अपने धर्म का उल्लेख जनगणना के फॉर्म में करते हैं, उसी तरह आदिवासी भी अपने सरना धर्म का उल्लेख कर सकें . उल्लेखनीय है कि झारखंड विधानसभा ने 11 नवंबर, 2020 को विशेष विधानसभा आहूत कर आदिवासियों के सरना धर्म कोड को लागू करने की मांग का प्रस्ताव सर्वसम्मति से पारित कर राजभवन भेजा था ताकि राजभवन के माध्यम से केंद्र तक पहुंच जाए.यह प्रस्ताव केंद्र सरकार के पास मंजूरी के लिए भेजा गया था.लेकिन इसपर केंद्र से अब तक कोई पहल नहीं की गई गई.आपको बता दें कि खास बात यह कि जनगणना में सरना आदिवासी धर्म के लिए अलग कोड दर्ज करने का यह गठबंधन की सरकार ने लाया है.जिसका राज्य की प्रमुख विपक्षी पार्टी भारतीय जनता पार्टी के विधायकों ने भी समर्थन किया था.

मुख्यमंत्री करें बैठक,होगा आंदोलन - प्रेम शाही मुंडा

सरना धर्म कोड को लेकर अब आदिवासी समुदाय अपनी आवाज उठा रहे हैं. दरअसल लंबे समय से इस कोड की मांग को लेकर कई बार आंदोलन देखने को मिला है, लेकिन इस बीच मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने प्रधानमंत्री को पत्र लिखकर इससे लागू करने की अपील की है. हालांकि अब आदिवासी समुदाय मुख्यमंत्री के इस कदम को सरहनीय बताते हुए कहा कि अब मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को आदिवासी समुदाय के साथ बैठक करने की जरूरत है ताकि सभी आदिवासी मिल कर आंदोलन की शुरूआत करें और केंद्र सरकार पर दबाव बनाए

सीएम जब मुश्किल में होते तो उन्हें सरना धर्म कोड याद आता - सुदेश महतो

राज्य में ईडी की दबिश को लेकर कई सवाल उठ रहे है.मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को ईडी की ओर से समन जारी को लेकर सियासी सरगर्मी तेज हो गई है.इस बीच मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने सरना धर्म कोड की मांग को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर उन्हें जल्द निर्णय लेने को कहा है.लेकिन मुख्यमंत्री के इस पत्र को लेकर सवाल उठ रहे है.आजसू सुप्रीमो सुदेश महतो ने कहा है कि जब मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन मुश्किल में रहते है तो उन्हें सरना धर्म कोड याद आता है. ईडी का डर उन्हें सता रहा है और वो जनता की भावना से खेल रहे है,साथ ही सुदेश महतो ने कहा की अगर सीएम इतने ही गंभीर है सरना धर्म कोड को लेकर तो वो कितनी बार प्रधानमंत्री से इसको लेकर मिले है?5 दिन अभी दिल्ली में थे तो सीएम को समय निकालकर पीएम से मिलना चाहिए था.मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन सरना धर्म कोड पर सिर्फ राजनीति कर रहे है.

बीजेपी नहीं चाहती की सरना धर्म कोड हो लागू - राजेश ठाकुर

सरना धर्म कोड की मांग को लेकर कांग्रेस ने बीजेपी पर हमला बोला है, दरअसल मुख्यमंत्री के पीएम को पत्र लिखने के बाद कांग्रेस ने भाजपा पर सीधा हमला बोला है. कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष राजेश ठाकुर ने कहा कि महागठबंधन की सरकार ने अलग सरना धर्म कोड का प्रस्ताव विधानसभा से पास कराकर राजभवन भेजा. लेकिन इस कोड को या तो भूलवश या फिर जान बूझकर राजभवन ने उसे सही तरीके से विधानसभा को नहीं लौटाया. राजेश ठाकुर ने कहा कि सब जानते हैं कि अब राजभवन भी पीएमओ से गाइड होता है.

रघुवर दास ने सीएम हेमंत सोरेन को लिखा पत्र

राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री और बीजेपी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष रघुवर दास ने सीएम को पत्र लिखकर कहा है कि सरना धर्म कोड के नाम पर जनता को गुमराह मत कीजिए,आपके हाथ में जो है उसे लागू करें,और एसटी समाज के हित में फैसला करें. रघुवर दास ने सीएम हेमंत सोरेन को याद दिलाया है कि राज्य के स्थापित रीति रिवाज ,वेशभूषा और परंपरा को माननेवाले अनुसूचित समाज के लोगो का है एसटी जाति प्रमाण पत्र जारी करने का आदेश दे,और यह मांग लंबे समय से हैं.

क्यों जरूरी है सरना धर्म कोड

झारखंड एक आदिवासी बहुल राज्य है और राज्य में 26% से अधिक आबादी जनजातीय समाज की है. राज्य में विधानसभा की 28 और लोकसभा की 05 सीटें अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित हैं.और अगर अन्य सीटों की बात करेंगे तो वहां पर भी उनकी संख्या अच्छी खासी है. लोकसभा की आरक्षित 5 में से 3 सीटों पर भाजपा का कब्जा है. लेकिन दो सीटों पर महागठबंधन का कब्जा है. बता दें कि हेमंत सोरेन सरना धर्म कोड के भावनात्मक मुद्दे के साथ लोकसभा की ज्यादातर सीटों पर इंडिया गठबंधन को जीत दिलाना चाहते हैं.

Published at:29 Sep 2023 09:58 AM (IST)
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