धनबाद(DHANBAD): झारखंड विधानसभा चुनाव में चर्चित विधायक सरयू राय क्या जमशेदपुर पूर्वी से एनडीए के उम्मीदवार होंगे? क्या बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार इसमें सहयोग करेंगे? क्या नीतीश कुमार जमशेदपुर पूर्वी विधानसभा सीट जदयू के लिए मांगेंगे? यह सब ऐसे सवाल है जो झारखंड के सियासी गलियारे में हवा में उड़ रहे है. इसके कारण भी गिनाये जा रहे है. सरयू राय अपने पुराने मित्र और बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से मुलाकात की है. इस मुलाकात के बाद से ही चर्चाओं का बाजार गर्म है. वैसे, तो झारखंड विधानसभा चुनाव को लेकर सभी राजनीतिक दल अपनी तैयारियां शुरू कर दी है. उम्मीदवार भी अपनी गोटी फिट करने में जुट गए है. जमशेदपुर पूर्वी के विधायक सरयू राय बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से मुलाकात की.
2019 में जमशेदपुर पूर्वी सीट से निर्दलीय जीते थे
इसके बाद से कई चर्चाएं शुरू हो गई है. 2019 में तो जमशेदपुर पूर्वी सीट से सरयू राय निर्दलीय जीते थे. लेकिन इस बार निर्दलीय लड़ेंगे या एनडीए के प्रत्याशी बनेंगे, यह तो भविष्य के गर्भ में है. लेकिन संभावना जताई जा रही है कि नीतीश कुमार जदयू के लिए जमशेदपुर पूर्वी की सीट भाजपा से मांग सकते हैं और ऐसी स्थिति में सरयू राय जमशेदपुर पूर्वी से एनडीए के लिए जदयू से चुनाव लड़ सकते है. अगर ऐसा हुआ तो सरयू राय को भी सहूलियत होगी. उन्हें एनडीए का पूरा समर्थन भी मिल जाएगा. यह अलग बात है कि अंतिम समय में सरयू राय क्या करेंगे, वह तो वह खुद ही जानते है.
झारखंड की राजनीति के चाणक्य माने जाते है सरयू राय
झारखंड की राजनीति के वह चाणक्य माने जाते है. 2019 में जब भाजपा ने उन्हें जमशेदपुर पश्चिम से टिकट नहीं दिया तो वह गुस्से में जमशेदपुर पूर्वी से निर्दलीय चुनाव लड़ गए. क्योंकि उनका मानना था कि रघुवर दास के विरोध की वजह से उन्हें टिकट नहीं मिला. रघुवर दास झारखंड के सीएम रहते हुए जमशेदपुर पूर्वी से चुनाव लड़ रहे थे. शुरुआती दौर में तो सरयू राय को लगा कि वह फंस गए हैं लेकिन धीरे-धीरे रघुवर दास के विरोधियों का समर्थन उन्हें मिलने लगा और वह मुख्यमंत्री की कुर्सी पर रहते हुए रघुवर दास को पराजित कर चुनाव जीत गए. जमशेदपुर पूर्वी के लोगों ने सरयू राय पर भरोसा किया और रघुवर दास की राजनीति की जड़ में मटठा डाल दिया. हालांकि फिलहाल रघुवर दास ओडिशा के राज्यपाल है और 2024 के विधानसभा चुनाव में उन्हें झारखंड की राजनीति में सक्रिय होने की संभावना नहीं है. 2014 में सरयू राय जमशेदपुर पश्चिम से विधायक थे. वह रघुवर सरकार में मंत्री भी थे. लेकिन सरकार के कामकाजों का मुखर होकर विरोध करते थे. लोकसभा चुनाव में भी सरयू राय धनबाद संसदीय सीट से चुनाव लड़ने के लिए रायशुमारी की. उन्होंने प्रयास किया कि कांग्रेस उनका समर्थन कर दे. क्योंकि
धनबाद लोकसभा से भी चुनाव लड़ने की हुई थी रायशुमारी
धनबाद से पशुपति बाबू का टिकट कट गया था. लेकिन जब कांग्रेस ने अनुपमा सिंह को उम्मीदवार बना दिया, उसके बाद उन्होंने चुनाव लड़ने का निर्णय बदल दिया. यह अलग बात है की अनुपमा सिंह जमशेदपुर जाकर सरयू राय से मुलाकात की थी और सरजू राय ने उन्हें आशीर्वाद दे दिया था. लेकिन धनबाद से अनुपमा सिंह चुनाव हार गई और भाजपा के टिकट पर ढुल्लू महतो धनबाद से सांसद चुने गए है. नीतीश कुमार और सरयू राय के बारे में कहा जाता है है कि दोनों पटना साइंस कॉलेज में पढ़ाई के दौरान हॉस्टल में एक साथ रहते थे. दोनों के बीच मित्रता है और छात्र राजनीति में दोनों ने एक साथ कदम रखा. बिहार से अलग झारखंड राज्य गठन के बाद सरयू राय रांची आ गए, लेकिन इसके बावजूद समय-समय पर दोनों नेताओं के बीच मुलाकात का सिलसिला बना रहा. सोमवार 24 जून को एक बार फिर सरयू राय और नीतीश कुमार की मुलाकात हुई. और यही से चर्चाओं का बाजार गर्म होना शुरू हुआ है.
रिपोर्ट -धनबाद ब्यूरो