धनबाद(DHANBAD): झरिया के धनंजय यादव हत्याकांड के तरीके को सुन जानकर लोगों के रोंगटे खड़े हो रहे हैं. रात के सन्नाटे में जिस तरह की अपराधियो ने गुंडई की,वो डरानेवाली थी.वहीं पुलिस की जांच पर लगातार सवाल खड़े हो रहे हैं.सुस्ती के आरोप लग रहे है.
संजय यादव हत्याकांड की जांच में पुलिस पर उठे सवाल
शुक्रवार को धनंजय यादव के परिवार वाले जब घर में झाड़ू लगा रहे थे तो उन्हें दो खोखे मिले . उसके बाद इसकी सूचना झरिया पुलिस को दी गई. मतलब की घटना के बाद घर में पुलिस की जांच भी सही ढंग से नहीं हुई और फायरिंग के खोखे घर में ही रह गए. इस घटना ने धनबाद के लोगों को डरा दिया है. अपराधियों का मनोबल इस कदर बढ़ा हुआ है कि वह किसी भी घटना को कभी भी अंजाम दे सकते हैं. लोग बताते हैं कि धनंजय यादव के घर की दीवाल पर अभी भी खोखे फंसे हुए हैं. धनंजय यादव का मोबाइल भी पुलिस बरामद नहीं कर सकी है. उस मोबाइल में हो सकता है कि बहुत सारे राज छिपे हो.
घर में जांच के बाद भी मिले कई खोखे
वहीं आपको बता दे कि धनंजय यादव की जान लेने के बाद अपराधी मोबाइल अपने साथ लेकर चले गए हैं. अनुमान लगाया जा रहा है कि धनंजय यादव के मोबाइल में कुछ सबूत होंगे. जिसकी वजह से फोन हत्यारे साथ ले गए हैं. इधर धनंजय यादव के पोस्टमार्टम रिपोर्ट में शरीर पर एक नहीं,कई जख्म के निशान पाए गए हैं. गर्दन को पीछे से रेता गया था. पीठ, गर्दन सीने में लगभग 6 गोलियां मारी गई थी .इसका मतलब है कि अपराधी पूरी तैयारी के साथ पहुंचे थे और उनका मकसद भी साफ था कि हर हाल में धनंजय को खत्म करना है.
बहुत ही बेरहमी से की गई धनंजय यादव की हत्या
वहीं आपको बता दे कि घटना के कुछ दिन पहले रामबाबू धिक्कार और धनंजय यादव में विवाद हुआ था .लोग ये भी बताते हैं कि सिंह नगर में अवैध कोयले का धंधा चलता है, जहां दोनों गुट वर्चस्व जमाना चाहते थे. एक गुट का नेतृत्व धनंजय यादव तो दूसरे गुट का नेतृत्व रामबाबू धिक्कार कर रहा था. राजापुर से कोयला लेकर आने वाले हाईवा से कोयला उतारने में वर्चस्व को लेकर लड़ाई चल रही थी. हालांकि दोनों में समझौता का प्रयास भी हुआ था लेकिन सहमति नहीं बनी और दोनों ने एक दूसरे को देख लेने की धमकी दी थी. उसी के बाद झरिया की सड़कों पर गुंडई दिखाते हुए धनंजय यादव की हत्या कर दी गई.
मानवता हुई शर्मसार
वहीं हत्या जिस बेरहमी से की गई है. यह मानवता को भी शर्मसार करने वाली थी. घर का दारवाजा, जब नहीं खुला तो अपराधियों ने बम मारकर दरवाजा तोड़ा और फिर धर्मेंद्र यादव को पहले चाकू से गोदा, फिर गोली मार दी. सवाल ये है कि जितनी बड़ी घटना है, उस हिसाब से पुलिस इसमें सक्रियता नहीं दिखा रही है. धनंजय यादव सिंह मेंशन का समर्थक बताया जाता था जबकि रामबाबू धिक्कार रघुकुल का समर्थक कहा जाता है.
रिपोर्ट : धनबाद ब्यूरो