टीएनपी डेस्क(Tnp desk):-प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी 15 नवंबर के दिन झारखंड दौरे पर आ रहे हैं. वे भगवान बिरसा मुंडा के गांव उलिहातु जायेंगे, उनके इस दौरे को लेकर तमाम तैयारियों के साथ-साथ सियासत भी खूब हो रही है. राज्य की सत्ता धारी दल इसे दौरे से ज्यादा आदिवासी मतदातातों को अपने पाले में लाने की कवायद मान रही हैं. जिस दिन पीएम झारखंड में आयेंगे इस दिन झारखंड का स्थापना दिवस भी है, औऱ ‘जनजातीय गौरव दिवस’ के तौर पर भी मनाया जाता है. लिहाजा, राज्य के लिए ये दिन काफी विशेष है.
सरना धर्म कोड की मांग
आगामी लोकसभा चुनाव को लेकर सारे दल जोर-शोर से तैयारियां कर रहें है. पीएम मोदी का ये दौरा भी इसे लेकर ही माना जा रहा है. ताकि आदिवासी मतदाताओं पर भाजपा की पकड़ मजबूत हो. झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने पीएम के आगमन का स्वागत किया है . लेकिन, इस खैरकदम के बीच गुरुवार को सरना धर्म कोड की भी मांग कर डाली, उनका कहना था कि इससे संबंधित सभी कागजात पहले ही भेजा जा चुके हैं , उन्हें अब इस पर फैसला लेना है.
मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन का दांव
मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन अभी चुनौतियों की अग्निपथ चल रहे हैं. उनके सामने ईडी जांच का घेरा है, तो सामने लोकसभा और इसके बाद विधानसभा चुनाव की चुनौती है. हालांकि, झारखंड के सीएम इस दौरान हर कदम फूंक-फूंक कर रहे हैं औऱ विरोधियों को परास्त करने की सब जुगत भिड़ा रहे हैं. लिहाजा, उन्होंने प्रधानमंत्री के झारखंड दौरे से पहले सरना धर्म कोड का दांव चलकर गेंद केन्द्र के पाले में डाल दी है. उनका कहना था कि सरना धर्म कोड आदिवासियों के संवैधानिक अधिकारों की रक्षा सुनिश्चित करती है औऱ ये अन्य धर्मों के अनुयायियों से अलग है. दरअसल, मुख्यमंत्री ने सितंबर को सरना धर्म कोड को लेकर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को एक पत्र लिखा था. जिसमें उन्होंने जिक्र किया था कि सरना धर्म कोड किस तरह आदिवासियों के धार्मिक अस्तित्व औऱ संवैधानिक अधिकारों की रक्षा के लिए जरुरी है. उनका ये भी दावां था कि पिछले आठ दशकों में क्षेत्र में आदिवासी आबादी 38 से घटकर 26 फीसदी हो गई है.
क्या है सरना धर्म कोड
सरना धर्म कोड की मांग लंबे समय से की जा रही है. सबसे पहले ये समझते है कि आखिर ये हैं क्या. दरअसल, भारत में आदिवासी समुदाय का एक हिस्सा हिंदू को नहीं बल्कि सरना धर्म को मानता है. इनके मुताबिक सरना वो लोग है , जो प्रकृति के पुजारी होते है. जो मूर्ति पूजा में यकीन नहीं रखते हैं. झारखंड में इस धर्म को मानने वालों की सबसे ज्यादा 42 लाख आबादी है. राज्य में सरना धर्म कोड लागू करने की मांग का यहां मतलब ये है कि, भारत में होने वाली जनगणना के दौरान हर व्यक्ति के लए जो फॉर्म भरा जाता है. उसमें दूसरे सभी धर्मों की तरह आदिवासियों के धर्म का जिक्र करने के लिए एक कॉलम बनाया जाए. जिस तरह हिंदु, मुस्लिम, जैन, सिख, ईसाई और बौद्ध धर्म के लोग अपने धर्म धर्म का उल्लेख जनगणना फॉर्म में करते हैं. उसी तरह आदिवासी भी अपने सरना धर्म का उल्लेख कर सकें. इसे लेकर कॉलम बनाया जाए.