लोहरदगा(LOHARDAGA): लोहरदगा जिला के ग्रामीण क्षेत्र और पठारी इलाकों में रहने वाले आदिवासी आज समाज की मांग को समझते हुए नए-नए गुर से वाकिफ हो रहे हैं. अब ये गांव के साथ-साथ शहर के स्वादिष्ट चीजों को बनाने में माहिर हो रहे हैं. लोहरदगा जिला के एक आदिवासी बाहुल्य क्षेत्र है. यहां आदिम जनजाति के लोग भी पठारी इलाकों में वास करते हैं. अब ये ग्रामीण गांव के स्वादिष्ट भोजन के निर्माण के साथ-साथ अब केक, पेस्टी, चॉकलेट, आइसक्रीम, मडुआ बिस्कुट सहित अन्य चीजों को बनाने का गुर सीख रहे हैं. गांव के दुकान डब्बा, धुसका, मडुआ पराठा, छिलका के अलावे समाज की मांग पर केक, पेस्टी, चॉकलेट, आइसक्रीम, मडुआ बिस्कुट सहित अन्य खास्ता और स्वादिष्ट चीजों के निर्माण में निपुण हो चुके हैं. पहले ये महिलाएं और पुरुष पलायन कर और अपने कठिन कार्य कर अपने बच्चों की जरुरतों को पूरा करती थी. लेकिन अब ये अपने घरों में ही बच्चों के शौक को पूरा करने के साथ-साथ अपनी आर्थिक स्थिति को और मजबूत करने के लिए तैयार हैं. लोहरदगा में अग्रणी बैंक ऑफ इंडिया के स्टार स्वरोजगार प्रशिक्षण संस्थान में जेएसएलपीएस के सहयोग से इन महिलाओं ने अपने भविष्य को संवारने का कार्य किया है. अब ये महिलाएं नव वर्ष और क्रिसमस के दौरान बाजार में उतरने के लिए तैयार है.
बैंक और जेएसएलपीएस ने किया सहयोग
लोहरदगा में अग्रणी बैंक, बैंक ऑफ इंडिया और जेएसएलपीएस के सहयोग से जिला के सैकड़ों ग्रामीणों ने अपने भविष्य को बेहतर बनाने का कार्य किया है. आरसेटी के निदेशक ने कहा कि बेकरी का प्रशिक्षण पहली बार जिला के ग्रामीण पुरुष और महिलाओं को दिया गया है और अब ये पूरी तरह से बाज़ार में अपनी काबिलियत दिखाने के लिए तैयार है. आने वाले समय में प्रशिक्षण को और बढ़ावा देने की बात कही गई है.
लोहरदगा जिला की ग्रामीण महिलाओं अब आज़ के बच्चों और युवाओं की जरूरत को समझने लगी है और अब यह देश-विदेश के किसी भी कोने में अपना रोजगार, सम्मान के साथ आगे बढ़ाने के लिए तैयार है. बाज़ार भी इनका स्वागत करने के लिए अब तैयार है. बस जरूरत है, इन्हें शुरुआती सहयोग के साथ-साथ प्रोत्साहित किया जाए और बाजार उपलब्ध कराया जाए.
रिपोर्ट: लोहरदगा ब्यूरो