धनबाद(DHANBAD): राजनीतिक दलों ने तो झरिया में पानी की समस्या को कभी चुनावी मुद्दा नहीं बनाया. समूचे धनबाद कोयलांचल का जल संकट भी कभी चुनावी मुद्दा नहीं बना. 1952 से लेकर अब तक के धनबाद के संसदीय इतिहास में धनबाद की सबसे बड़ी समस्या "जल संकट "कभी चुनावी मुद्दा नहीं बना. लेकिन 2024 के चुनाव में झरिया की जनता खड़ी हुई है. कह रही है कि "जल नहीं तो वोट नहीं", उनके मन में आक्रोश और गुस्सा है. वह प्रत्याशियों को ढूंढ रही है. पूछना चाह रही है कि आखिर वह वोट क्यों करें, वोट के बाद तो कोई दिखाई नहीं देता. जनता की पीड़ा कोई सुनता नहीं. यह अलग बात है कि धनबाद से सांसद बदलते रहे, झरिया से विधायक बदलते रहे. न सांसद के चुनाव में और न ही विधायक के चुनाव में झरिया का जल संकट चुनावी मुद्दा बना.
उठ खड़ी हुई है झरिया की जनता
लेकिन इस बार जनता इसे चुनावी मुद्दा बनाने को ठान ली है. झरिया की नई दुनिया, संतोष नगर, आशा विहार कॉलोनी के लोगों ने रविवार को ऐलान कर दिया है कि "पानी नहीं तो वोट नहीं", झरिया इलाके में पानी की सप्लाई के अलावा कोई दूसरा स्रोत भी नहीं है. जमीन के नीचे कोयला होने के कारण कुए, तालाब तो है नहीं. पानी के स्रोत भी नहीं है. यह अलग बात है कि कोलियरी इलाकों में जो तालाब दिखते हैं, वह पीट वाटर(खदानों से निकला पानी ) के होते है. यही वजह है कि सुबह उठते ही लोग पहले पानी का जुगाड़ करते हैं, फिर बच्चों को स्कूल भेजते हैं और तब भोजन के बारे में सोचते है. सवाल सिर्फ 2024 के की गर्मी का नहीं है, यह हाल झरिया में 365 दिन रहता है.
झरिया के लोगों ने प्रदर्शन कर दिखाया है आइना
झरिया के लोगों ने प्रदर्शन कर जन प्रतिनिधियों को आइना दिखाया है. अभी प्रत्याशी वोट मांगने घर-घर घूम रहे हैं, लेकिन उन जगहों पर जाने से बच रहे हैं, जहां उन्हें लोगों के गुस्से का अंदेशा है. झरिया के कई इलाके इस सूची में शामिल है. सिर्फ पानी की बात ही नहीं है, झरिया सहित पूरे धनबाद के लोग बिजली के लिए भी त्राहि त्राहि कर रहे है. बिजली -पानी के अलावा प्रदूषण भी झरिया की बहुत बड़ी समस्या है. झरिया के लोग यह चाहते हैं कि कोई भी प्रत्याशी उनके सामने आए, उन्हें कुछ ठोस भरोसा दे, नहीं तो "जब तक पानी नहीं, तब तक वोट नहीं "के निर्णय पर वह अटल रहेंगे. झरिया विधानसभा एक ऐसा क्षेत्र है, जहां भाजपा के भी विधायक हुए, राजद के भी विधायक हुए और कांग्रेस के भी. लेकिन किसी ने झरिया की समस्याओं पर ध्यान नहीं दिया. देखना है आगे आगे होता है क्या.
रिपोर्ट -धनबाद ब्यूरो