धनबाद(DHANBAD): अपराधियों की न कोई जाति होती है और ना उनका कोई रिश्तेदार ,वह तो मौका के यार होते है. मौका मिलते ही किसी को भी ठग , लूट सकते है. यही काम अभी सक्रिय साइबर अपराधी बैखौफ कर रहे है. किसी की एटीएम और किसी का खाता नंबर लेकर उसमें राशि मंगाते हैं और फिर निकालकर मौज करते है. लगातार पुलिस के पास ऐसी शिकायतें आ रही है कि उसके करीबी रिश्तेदार ने उसकी एटीएम ले ली और अब उसका अकाउंट फ्रीज कर दिया गया है. ऐसे में उसे परेशानी हो रही है. ऐसा ही एक मामला वासेपुर अमन सोसाइटी में रहने वाली एक महिला के साथ हुआ है. महिला के बैंक खाते से उसके दामाद ने साइबर ठगी के रुपये मगाये.
दामाद के खिलाफ धनबाद साइबर थाने में हुई है शिकायत
देवघर पलाजोरी निवासी अपने दामाद के खिलाफ महिला ने धनबाद साइबर थाने में शिकायत की है. उसने बताया है कि वह बैंक में पैसा निकालने गई तो पता चला कि उस का बैंक खाता फ्रीज कर दिया गया है. उनका दामाद ही बैंक खाता और एटीएम लिया था. उनका दावा है कि दामाद ने ही खाते का गलत इस्तेमाल किया है. हाल के दिनों में साइबर अपराधियों की गतिविधियों से परेशान पुलिस ने धनबाद के कई बैंक खातों को चिन्हित किया था. कई लोगों से पूछताछ की कई, लोगों ने बताया कि उन्हें तो कुछ मालूम ही नहीं है. फिर पुलिस ने बैंक वालों से संपर्क कर खातों को फ्रिज करा दिया। साइबर अपराध कोयलांचल, झारखंड सहित पूरे देश में उफान पर है.
कब किस बहाने किस से ठगी हो जाए, कोई कह नहीं सकता
कब किस बहाने किस से ठगी हो जाए, कोई कह नहीं सकता है. साइबर ठगी की जन्म स्थली तो झारखंड ही है. झारखंड के जामताड़ा मैं इसकी पाठशाला चलती है. इस पाठशाला से निकले साइबर अपराधी देश के अन्य शहरों में फैल गए हैं और कोई दिल्ली में बैठकर तो कोई पटना में बैठकर तो कोई धनबाद में बैठकर ठगी का काम कर रहा है. अभी हाल ही में गिरिडीह में पुलिस ने एक ऐसा मामला पकड़ा, जिसे खुलासा हुआ कि केवल लिंक भेजने का वह पैसा लेता था. उसके पास से सैकड़ों बैंक खाते और हजारों नंबर पुलिस को मिले थे. बिना किसी मेहनत के ठगी करने में माहिर यह अपराधी जहां भी रहते हैं, अपने स्टूडेंट बताते हैं लेकिन उनका पढ़ाई से कोई वास्ता नहीं होता बल्कि का होता.
रिपोर्ट -धनबाद ब्यूरो
