रांची (RANCHI) : तीन चरण के चुनाव के बाद देश के चौथे और झारखंड के पहले चरण के चुनाव के प्रचार का शोर आज शाम थम जाएगा. झारखंड के खूंटी सहित चार सीटों पर 13 मई को मतदान होगा. उस दिन मतदाता अलग-अलग दलों के प्रत्याशियों के किस्मत का फैसला करेंगे. इस चुनाव में किसकी जीत और हार होगी, उसका परिणाम चार जून को मिलेगा.
खूंटी संसदीय क्षेत्र में वैसे मुख्य मुकाबला भाजपा के अर्जुन मुंडा और कांग्रेस के कालीचरण मुंडा के बीच है, लेकिन झारखंड पार्टी की अपर्णा हंस और निर्दलीय उम्मीदवार के उतरने से मुकाबला काफी दिलचस्प हो गया है. यहां से कुल सात उम्मीदवार चुनावी मैदान में ताल ठोक रहे हैं. जिनमें अर्जुन मुंडा और कालीचरण मुंडा के अलावा झारखंड पार्टी की अर्पणा हंस, भारत आदिवासी पार्टी की बबीता कच्छप, बहुजन समाज पार्टी की सावित्री देवी, निर्दलीय उम्मीदवार बसंत कुमार लोंगा और पास्टर संजय कुमार तिर्की शामिल हैं. 2019 के लोकसभा चुनाव में अर्जुन मुंडा को कांग्रेस के कालीचरण मुंडा ने कड़ी टक्कर दी थी. उस चुनाव में अर्जुन को 382,638 वोट मिले थे, जबकि कालीचरण मुंडा को 381,193 मत मिले. भाजपा प्रत्याशी मात्र 1445 वोटों से ही चुनाव जीत सके थे. उनको 45.97 फीसदी वोट लाकर विजयी हुए. वहीं कड़े मुकाबले में कालीचरण को 45.80 प्रतिशत मतदाताओं ने वोट किया था. बड़ी बात ये है कि तीसरे स्थान पर नोटा काबिज था. करीब 21,245 मतदाताओं ने नोटा के बटन को दबाया था. उस चुनाव में महिलाओं ने अहम भूमिका निभाई थी और इस बार भी इनकी भूमिका अहम होगी. खूंटी लोकसभा क्षेत्र में पुरुषों के मुकाबले महिला वोटरों की संख्या ज्यादा है.
खूंटी में अधिक है महिला मतदाताओं की संख्या
चुनाव आयोग के आंकड़ों के मुताबिक खूंटी में 13 लाख 20 हजार 808 मतदाता प्रत्याशियों के किस्मत का फैसला करेंगे. इसमें पुरुषों की संख्या 6 लाख 43 हजार 087 और महिला मतदाताओं की संख्या 6 लाख 66 हजार 776 है. यानि महिलाओं की संख्या पुरुषों की अपेक्षा 23 हजार 597 अधिक है. जो किसी भी प्रत्याशी को हराने या जीताने में अहम भूमिका निभाएगा. खूंटी संसदीय सीट के अंतर्गत छह विधानसभा क्षेत्र आता है, जिसमें खूंटी, तोरपा, तमाड़, खरसावां, सिमडेगा और कोलेबिरा विधानसभा क्षेत्र शामिल हैं. सभी विधानसभा क्षेत्रों में महिला मतदाताओं की संख्या पुरुष मतदाताओं से अधिक है. खूंटी में 549 मतदान हैं, जिसमें 115 महिला बूथ है. इस बार भी पुरुष के मुकाबले महिला मतदाताओं की भागीदारी ज्यादा होगी, जो चुनाव का रूख बदल सकता है.
मतदाताओं के क्या है मुख्य मुद्दे
भाजपा का गढ़ कहे जाने वाले खूंटी लोकसभा क्षेत्र में कई ऐसे मुद्दे हैं जो आज तक पूरी नहीं हुई. बीजेपी के कई नेताओं को यहां के मतदाताओं ने अपना वोट देकर संसद पहुंचाया है, लेकिन इनकी मुख्य मांगे अभी तक पूरी नहीं हुई. यहां आज भी शिक्षा, बेरोजगारी, पलायन, पेयजल, सरना धर्म कोड, वनोपज, वन भूमि, रोजगार मूल समस्या है. और भी कई ऐसे मुद्दे हैं जो अबतक पूरी नहीं हुई है. यह इलाका आज भी नक्सल प्रभावित है. नक्सल प्रभावित क्षेत्र होने के कारण विकास का पहिया उतनी रफ्तार से नहीं दौड़ रही है, जितना होना चाहिए. यहां अर्जुन मुंडा के पक्ष में राजनाथ सिंह, अमित शाह से लेकर बड़े-बड़े नेता चुनाव प्रचार कर चुके हैं लेकिन इन मुद्दों पर किसी ने कोई बात नहीं की. चुनाव प्रचार के आखिरी दिन आज असम के मुख्यमंत्री हेमंता विश्वा शर्मा आ रहे हैं. वे तमाड़ के रायडीह में जनसभा को संबोधित करेंगे. देखना होगा कि 13 मई को होने वाले चुनाव में यहां के मतदाता किस मुद्दों पर किसके पक्ष में वोट डालेंगे.