रांची(RANCHI) : 1932 आधारित ख़तियान का प्रस्ताव राज्यपाल द्वारा वापस किये जाने के बाद राजनीतिक हल चल तेज हो गई है. भाजपा और महागठबंधन आमने सामने है. इसी कड़ी में झामुमो केंद्रीय प्रवक्ता सुप्रियो भट्टाचार्य केंद्रीय कार्यालय में प्रेस वार्ता कर भाजपा और राजभवन पर सवाल उठाया. सुप्रियो भट्टाचार्य ने कहा कि 26 जनवरी को गणतंत्र दिवस के मौके पर मोरहाबादी में राज्यपाल रमेश बैस ने हेमन्त सरकार की सराहना की. लेकिन ठीक उसके 72 घन्टे में ऐसा क्या हो गया कि विधानसभा से पक्ष और विपक्ष के जरिये विधेयक 2022 को पारित किया. विधानसभा से पारित करने के बाद राज्यपाल को संसद में भेजने के लिए भेजा गया.
राज्यपाल ने कानून विशेषज्ञ से ली होगी राय
सुप्रियो भट्टाचार्य ने कहा कि राज्यपाल महोदय ने कुछ कानून विशेषज्ञ से राय ली होगी. उन्होंने सम्पूर्ण विधेयक को पढ़ने के बाद संविधान के आर्टिकल 9 से 12 का हवाला देकर विचार करने का काम किया. हमें लगता है भूल वस राज्यपाल ने पूरा नहीं पढ़ा. राज्यपाल ने कहा कि इसका अधिकार सांसद को है. आर्टिकल 12 से 20 में उल्लेख है कि ऐसा विषय 9 वीं अनुसूची के लिए राज्य सरकार भेज सकती है. इसका जिक्र राज्य सरकार ने किया था. लेकिन राज्यपाल ने वापस कर दिया.
ख़तियान से डर रही भाजपा
कुछ ऐसे अधिकार है जिसे यहां के आदिवासी मूलवासी को अधिकार मिल सके. भाजपा को ख़तियान से इतना डर लग रहा है कि ख़तियान जोहर यात्रा के दौरान ही ऐसा किया गया. बजट सत्र के दौरान राज्यपाल ही पहले दिन संबोधित करेंगे. लेकिन उसी विधानसभा के द्वारा अपने संरक्षक को कोई विधेयक भेजता है कि आप इसे संसद में भेजे तो वह वापस कर देते है. यह राज्य के लिए सही नहीं है.
खतियान वापसी पर झारखंड वासी नाराज
संविधान के संरक्षक राष्ट्रपति के भी राज्यपाल प्रतिनिधि है. ना कि सिर्फ प्रधानमंत्री के. ऐसा करने से पूरे झारखंड वासी नाराज हैं. जिस विधेयक से यहां के मूलवासी आदिवासी की भावना जुड़ी हुई है.अब भाजपा झारखंड में बाहरी जनता पार्टी हो गयी है. अगर ख़तियान का विरोध करना है तो खुल कर करें.एक बार बोल दे कि झारखंड में खतियान नहीं लागू हो सकता है.भाजपा झारखंड में बाहरी को रखना चाहती है.
भाजपा के पोल खोलेगी झामुमो
झामुमो एक राजनीतिक दल होने के कारण भाजपा के पोल खोलेगी. वहीं सरकार अपने कानून के जरिये काम करेगी. फिर से इस विधेयक को राज्यपाल के पास भेजेंगे. हम भाजपा के कामो को जनता के बीच लेकर जाएंगे, लोगों को बताएंगे कि कैसे भाजपा ने यहां के लोगों के अधिकारी को कानून बनाने से रोक रही है. कहा मन की बात में प्रधानमंत्री आदिवासी की बात करते हैं. 15 नवंबर को आदिवासी गौरव दिवस मानते हैं. लेकिन आदिवासी क 31B में हमें अधिकार देता है.