धनबाद(DHANBAD): पुरानी संसद भवन अब अतीत हो गई है. 19 सितंबर 2023 को सांसदों ने देश के नए संसद भवन में प्रवेश किया. लेकिन पुराने संसद भवन में हमेशा धनबाद की आवाज गूंजती रही. पुरानी संसद भवन में आवाज बुलंद करने वाले राजनीतिक संत माने जाने वाले ए के राय धनबाद से ही सांसद थे. वह तीन बार सांसद रहे. इसके पहले तीन बार सिंदरी से विधायक रहे. उनका जन्म पूर्वी बंगाल( अब बांग्लादेश) के छोटे से गांव में हुआ था. प्राथमिक शिक्षा वहीं से पूरी करने के बाद रामकृष्ण मिशन स्कूल चले गए. 1959 में कोलकाता विश्वविद्यालय से केमिकल इंजीनियरिंग की डिग्री ली. उसके बाद वही एक प्राइवेट कंपनी में नौकरी की. 2 साल बाद धनबाद के सिंदरी स्थित प्रोजेक्ट्स एंड डेवलपमेंट इंडिया लिमिटेड में नौकरी करने लगे. इसी दौरान सिंदरी में मजदूरों की एक सभा हुई. मजदूरों ने बड़े आदर से उन्हें बुलाया. वह सभा में गए भी और मजदूरों के शोषण के खिलाफ आवाज बुलंद की. इसके बाद प्रबंधन नाराज हो गया और उन्हें कहा गया कि वह मजदूरों को चुने या नौकरी को .फिर उन्होंने नौकरी को तिलांजलि दे दी और मजदूरों के साथ हो गए. और यही से उनके जीवन में ट्रेड यूनियन की शुरुआत हुई. फिर वह राजनीति में सक्रिय हुए. तीन बार सिंदरी से विधायक रहे. तीन बार सांसद रहे. पर संत की तरह रहे. निधन के दिन तक मजदूरों के रहनुमा बने रहे.झारखंड मुक्ति मोर्चा के वह संस्थापक सदस्य भी रहे. 1977, 1980 और 1989 में वह धनबाद से सांसद चुने गए थे.
प्रोफेसर रीता वर्मा चार बार धनबाद से सांसद चुनी गई
अब बात करते हैं प्रोफेसर रीता वर्मा की. फिलहाल वह सांसद नहीं है. लेकिन रीता वर्मा हर एक मायने में सफल रही. धनबाद लोकसभा क्षेत्र से दूसरी बार महिला सांसद बनी. 1967 से 71 तक ललिता राजलक्ष्मी, जो रामगढ़ राजघराने से थी ,धनबाद से सांसद चुनी गई थी. रीता वर्मा चार बार धनबाद से सांसद चुनी गई. वह पेशे से व्याख्याता रही, लेकिन अब सेवानिवृत हो गई है .पति जांबाज पुलिस अधीक्षक रणधीर प्रसाद वर्मा कि आतंकियों के साथ मुठभेड़ में शहीद होने के बाद प्रोफेसर रीता वर्मा राजनीति में आई. 1991 में भाजपा के टिकट पर धनबाद से चुनाव लड़ी और एक राय को पराजित किया. वह कोयला राज्य मंत्री भी बनी. धनबाद से उनका नाता बना हुआ है. अभी भी धनबाद के सुख-दुख में वह सहभागी रहती हैं. फिलहाल धनबाद के सांसद पशुपतिनाथ सिंह हैं .पशुपतिनाथ सिंह भी तीसरी बार सांसद हैं. पुरानी संसद भवन में उनकी भी आवाज गुजराती रही है. यह अलग बात है कि नई संसद भवन में भी उनकी आवाज गूंजती रहेगी.
रिपोर्ट: धनबाद ब्यूरो