टीएनपी डेस्क (TNP DESK) : पिता की संपत्ति में बंटवारे का मुद्दा हमेशा विवादों में रहता है. इंडियन कॉन्स्टिट्यूशन (Indian Constitution) के अनुसार बेटे और बेटी दोनों को समान अधिकार दिए गए हैं, लेकिन अब इस मामले को लेकर कोर्ट (Court) ने बड़ा फैसला सुना दिया है. दरअसल दिल्ली हाईकोर्ट (Delhi High Court) ने एक केस के फैसले में कहा है कि तलाकशुदा बेटी (Divorced Daughter) का मृतक पिता की संपत्ति (Property) में कोई अधिकार नहीं है, क्योंकि वह गुजारा भत्ता (Alimony) पाने की हकदार नहीं है. ये कहते हुए कोर्ट ने एक तलाकशुदा महिला की अपील को खारिज कर दिया है.
जानें किन परिस्थितियों में बेटी को नहीं मिलेगा अधिकार
कोर्ट की तरफ से फैसला में बताया गया है कि किन परिस्थितियों में बेटी को अपने पिता की संपत्ति में अधिकार नहीं मिलेगा. दरअसल दिल्ली हाईकोर्ट (Delhi High Court) में उस महिला ने अपने फैमिली कोर्ट (Family Court) में गुजारा भत्ता (Alimony) के लिए अपनी मां और भाई पर दबाव बनाया था, लेकिन हाईकोर्ट (Highcourt) ने उस अपील को पूरी तरह से खारिज (Dismissed) कर दिया.
याचिकाकर्ता ने ये की थी अपील
इस मामले को लेकर याचिकाकर्ता (Petitioner) ने कहा था कि उसके पिता की वर्ष 1999 में मृत्यु हो गई थी. उनके कुल चार आश्रित थे, जिसमें मां, एक बेटा और दो बेटियां शामिल थीं. उस दौरान उसने यह भी कहा था कि उसे उत्तराधिकारी के तौर पर कोई कानूनी हिस्सा नहीं मिला. बहस के दौरान उसने कहा कि उसकी मां और भाई ने उसे आश्वासन दिया था कि उसे हर महीने 45,000 रुपये गुजारा भत्ता (Alimony) के तौर पर दिए जाएंगे, लेकिन उसे उनकी संपत्ति (Property) में हिस्सेदारी के लिए उन पर दबाव नहीं डालना पड़ेगा. तलाकशुदा महिला ने दलील में आगे कहा कि उसके भाई और मां ने नवंबर 2014 तक उसे भरण-पोषण के लिए पैसे दिए, लेकिन उसके बाद यह बंद कर दिया गया.
2001 में हुआ था महिला का तलाक
बता दें कि महिला का अपने पति से सितंबर 2001 में तलाक (Divorce) हो गया था. उस समय कोर्ट ने इस बात पर ध्यान नहीं दिया कि महिला को अपने पति से भरण-पोषण भत्ता (Nutrition Allowance) मिलता है या नहीं. बहस पूरी होने के बाद कोर्ट ने कहा कि चाहे स्थिति कितनी भी खराब क्यों न हो, वह HAMA एक्ट के तहत परिभाषित आश्रित नहीं है. इसलिए उसे अपनी मां और भाई से गुजारा भत्ता मांगने का कोई अधिकार नहीं है.
जानें जस्टिस नीना बंसल ने क्या कहा
तलाकशुदा महिला की अपील को खारिज करते हुए जस्टिस नीना बंसल कृष्णा और सुरेश कुमार केट की बेंच ने कहा कि हिंदू दत्तक ग्रहण एवं भरण-पोषण अधिनियम की धारा 21 केवल उन आश्रितों के लिए है, जो भरण-पोषण का दावा कर सकते हैं.