धनबाद(DHANBAD): झारखंड में संथाल परगना बिल्डर्स प्राइवेट लिमिटेड नामक कंपनी का "जिन्न" बोतल से बाहर निकला है. निशाने पर है भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी. झारखंड मुक्ति मोर्चा इसको भुनाने में लगा हुआ है. इस कंपनी को आधार बनाकर झारखंड मुक्ति मोर्चा और कांग्रेस ने भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी को घेरने की कोशिश की है. हालांकि बाबूलाल मरांडी ने भी आरोपो पर चुनौती देते हुए कहा है कि वह किसी भी तरह की जांच के लिए तैयार है. सरकार इसकी जांच कराये और स्थिति स्पष्ट करे. झारखंड मुक्ति मोर्चा और कांग्रेस ने शुक्रवार को संयुक्त प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि संथाल परगना बिल्डर्स प्राइवेट लिमिटेड कंपनी में तीन निदेशक हुए. निर्देशकों में एक बाबूलाल मरांडी के भाई और स्वर्गीय छोटू मरांडी के पुत्र रामया मरांडी भी है. दूसरे निदेशक सुनील तिवारी की पत्नी नीलिमा तिवारी है. मिहिजाम के योगेंद्र तिवारी भी निर्देशक है.
कंपनी के जरिये काला धन खपाने का आरोप
झारखंड मुक्ति मोर्चा का आरोप है कि इस कंपनी के जरिए बाबूलाल मरांडी का काला धन खपाया जाता है. दावा तो यह भी किया गया कि आने वाले दिनों में सबूत और तथ्यों के साथ और खुलासे किए जाएंगे. झामुमो के महासचिव सुप्रियो भट्टाचार्य ने दावा किया कि 25 नवंबर" 2005 को संथाल परगना बिल्डर्स प्राइवेट लिमिटेड कंपनी रजिस्टर्ड हुई थी. इसका एड्रेस हरमू हाउसिंग कॉलोनी, रांची दिया गया है. फिलहाल सिमडेगा में शराब का कारोबार इसी कंपनी के नाम है. इधर, प्रेस कांफ्रेंस के बाद बाबूलाल मरांडी ने भी तत्काल प्रतिक्रिया दी. बाबूलाल मरांडी ने कहा कि आज की तारीख में भी संथाल परगना बिल्डर्स प्राइवेट लिमिटेड कंपनी अस्तित्व में है. यह कंपनी जमीन और शराब का कारोबार करती है. बाबूलाल मरांडी ने चुनौती दी कि यदि आज भी उनसे जुड़े दो डायरेक्ट कंपनी में है, तो झारखंड मुक्ति मोर्चा इसका प्रमाण दे. उन्होंने आगे जोड़ा कि रामया मरांडी और ललिता तिवारी ने करीब 10 साल पहले कंपनी से न सिर्फ इस्तीफा दे दिया बल्कि अपना शेयर भी वापस ले लिए थे.
बाबूलाल मरांडी ने भी किया है पलटवार
बाबूलाल मरांडी ने कहा कि उनसे जुड़े जिन लोगों के नाम दिए गए हैं, संबंधित एक भी कागज दिखा दे कि आज के दिन में वे दोनों किसी भी तरह से कंपनी से जुड़े हुए है. साथ ही सरकार को चाहिए कि यह बताएं कि उस कंपनी में कौन-कौन डायरेक्टर हैं और किस-किस व्यक्ति का शेयर है. बहरहाल झारखंड में अभी अलग तरह की राजनीति चल रही है. बाबूलाल मरांडी सोरेन परिवार पर हमलावर हैं तो उनके खिलाफ राज्य के विभिन्न थानों में कई मुकदमे दर्ज कराए गए है. इधर, रघुवर दास मंत्रिमंडल के पांच मंत्रियों के खिलाफ भी पीई दर्ज कर निगरानी अब जांच को आगे बढ़ेगी. जाँच में अगर मंत्रियों के खिलाफ आय से अधिक सम्पति के सबूत मिलेंगे तो एफआईआर दर्ज होगी. वैसे, देखा जाए तो झारखंड में भाजपा ने बाबूलाल मरांडी पर भरोसा जताया है. भाजपा के निशाने पर लोकसभा के पांच और विधानसभा के 28 आदिवासियों के लिए आरक्षित सीटें है. इन सीटों पर भाजपा को विजय दिलाना बाबूलाल मरांडी के लिए भी बड़ी चुनौती होगी. इस बीच तरह-तरह की राजनीति शुरू हो गई है. चुनाव में अभी देरी है फिर भी माहौल चुनाव की तरह अभी से ही दिखने लगा है.
रिपोर्ट -धनबाद ब्यूरो