धनबाद (DHANBAD) : झारखंड सरकार ने टेंडर प्रक्रिया में बदलाव कर दिया है. सभी सरकारी विभागों में अब ऑनलाइन टेंडर की प्रक्रिया शुरू करने का आदेश निर्गत कर दिया गया है. ऑनलाइन टेंडर के बाद हार्ड कॉपी जमा करने के नियम को भी खत्म कर दिया गया है. सरकार के संयुक्त सचिव ने सभी सरकारी विभागों के चीफ इंजीनियर को पत्र लिखकर एक मार्च से ही टेंडर प्रक्रिया ऑनलाइन करने का निर्देश दे दिया है. साथ ही ऑनलाइन टेंडर भरने के बाद ऑफलाइन पेपर जमा करने की प्रक्रिया को बंद करने का निर्देश दिया है. आदेश निर्गत होने के बाद राज्य सरकार नया सॉफ्टवेयर तैयार करा रही है. इसमें सिर्फ एक ही बार ऑनलाइन टेंडर जमा करने की सुविधा रहेगी. इसकी कॉपी निकालने की जरूरत नहीं पड़ेगी. पूरी तरह से झारखंड में यह नियम तो लागू नहीं हुआ है लेकिन एक सप्ताह के भीतर लागू हो जाने की संभावना है.
चीफ इंजीनियर वीरेंद्र राम के धराने के बाद हुआ बदलाव
यह सब सरकार ने तब किया है जब ग्रामीण कार्य विभाग के चीफ इंजीनियर वीरेंद्र राम के यहां ईडी को करोड़ों की संपत्ति हाथ लगी है. कई और गडबडीयों के सबूत हाथ लगे है. उसके बाद से ही यह परिवर्तन किया गया है, तो क्या माना जाना चाहिए कि राज्य सरकार अब भ्रष्टाचार के खिलाफ सख्त हो गई है. मुख्यमंत्री के पूर्व प्रधान सचिव राजीव अरुण एक्का का भी तबादला कर दिया गया है, तो क्या इस कार्रवाई को भी सख्ती के चश्मे से देखा जाना चाहिए. इधर, अगर ऑनलाइन टेंडर की प्रक्रिया शुरू हो गई तो धनबाद में एक बड़े गैंग को मायूसी हाथ लगेगी. चुंकी यहां हर एक विभागों में कुछ ना कुछ लोग ऐसे हैं, जो टेंडर मैनेज करने का खेल खेलते है. पहले टेंडर डालने वालों को खबर कराई जाती है कि टेंडर नहीं डालें, बात नहीं मानने पर विभाग के बाहर पेपर छीन लिए जाते हैं. धनबाद की बात करें तो नगर निगम, ग्रामीण कार्य विभाग, लघु सिंचाई, विशेष प्रमंडल में सर्वाधिक टेंडर होते है. यह अलग बात है कि दबंग लोग अपने मनचाहे लोगों को काम दिलवा देते हैं और उसके एवज में धनराशि लेते है.
कोयलांचल में टेंडर मैनेज करने वालों का काम करता है गैंग
कई मामलों में इसके खुलासे भी हुए है. सिर्फ काम के आवंटन के पहले ही दबंगों की दबंगई कोयलांचल में नहीं चलती है बल्कि कार्य आवंटन के बाद भी ठेकेदारों को परेशान किया जाता है. उनसे कमीशन की मांग की जाती है. कट मनी की प्रथा कोयलांचल में दबंग लोगो की आमदनी का एक जरिया भी है. अब देखना होगा कि ऑनलाइन होने के बाद दबंग नया रास्ता क्या अपनाते है. ऐसे लोग कोई धंधा -कारोबार नहीं करते, फिर भी रईस की जिंदगी जीते है. धनबाद में तो थानों में टेंडर डालने तक का काम इन दबंगों के डर से किया जाता है. टेंडर मैनेज करने का ही परिणाम है कि काम की गुणवत्ता खराब होती है. संबंधित अभियंता कभी साइट पर जाते नहीं ,कार्यालय में बैठकर ही मेजरमेंट बुक तैयार कर देते है. हस्ताक्षर कर देते हैं और काम को ओके बता दिया जाता है. सूत्र बताते हैं कि पिछले 5 वर्षों में जो भी काम हुए हैं, अगर उनकी गुणवत्ता की जांच करा दी जाए तो भ्रष्टाचार का एक बड़ा मामला सामने आ सकता है. फिर वीरेंद्र राम की तरह भी यहाँ के कई अधिकारियो की गर्दन फंस सकती है.
रिपोर्ट: सत्यभूषण सिंह, धनबाद