धनबाद(DHANBAD): धनबाद में व्यवस्था पर भारी पड़ रहे हैं सड़क पर विचरण करने वाले आवारा पशु. निगम उन्हें पकड़कर गौशाला भेजने की व्यवस्था की है लेकिन गौशाला में जाकर भी यह पशु इतने अधिक उत्पात मचाते हैं कि गौशाला मैनेजमेंट भी अब हाथ खड़ा कर दिए है. वह अब रखने को तैयार नहीं है. ऐसे में इन पशुओं का अब क्या होगा. किलर इन पशुओं से धनबाद के लोगो को कैसे मुक्ति मिलेगी, यह बड़ा सवाल खड़ा हो गया है.
आवारा सांड बना जी का जंजाल
खुले में धनबाद की सड़कों पर विचरण करने वाले आवारा सांड गौशाला के चहारदीवारी के भीतर नहीं रहना चाहते, गौशाला में रखे गए पशुओं पर हमला बोल देते हैं. पशुओं की देखरेख के लिए तैनात कर्मियों को भी नहीं छोड़ते. ऐसे में अब यह आवारा पशु निगम के साथ-साथ गौशाला के लिए भी परेशानी का कारण बन गए हैं. हिंदुस्तान अखबार में छपी एक रिपोर्ट के अनुसार नगर निगम के लिए आवारा सांड जी का जंजाल बन गए हैं. निगम ने 2 दिन पहले एक निजी एजेंसी को आवारा जानवरों को पकड़ने का काम सौंपा है. एजेंसी ने दो सांड को पकड़कर बस्ता कोला गौशाला को सौंपा था. लेकिन रविवार की देर रात एक विशालकाय सांड उत्पात मचाने के बाद भाग निकला. पहले तो वह वहां रखे गए जानवरों पर हमला करना शुरू कर दिया. गौशाला कर्मियों ने कड़ी मेहनत के बाद उसे काबू में किया. लेकिन वह गौशाला से निकल भागा.
गौशाला में सांड रखना संभव नहीं: गौशाला सचिव
धनबाद की सड़कों पर आवारा पशुओं का उत्पाद इतना अधिक है कि वह तनिक ना डरते हैं ना भय खाते हैं. सोमवार को छात्रों का आंदोलन बेकार बांध में जब चल रहा था, उस समय भी एक सांड भीड़ में घुस गया और इसके बाद तो आंदोलित छात्र भी सहम गए थे. इधर, सांड के उत्पात से परेशान गौशाला कर्मियों ने रखने पर हड़ताल करने की चेतावनी दे दी है. कर्मियों का कहना है कि देर रात को निगम की एजेंसी सांड रख कर चली जाती है. उन्हें काबू में करना बहुत मुश्किल काम है. झरिया गौशाला के सचिव ने कहा है कि गौशाला में सांड रखना संभव नहीं है. खुले में रहने वाले सांड चहरदीवारी में रहने पर हंगामा मचा रहे हैं. जल्द ही निगम को पत्र लिखकर ले जाने को कहा जाएगा. निगम ने रांची के तर्ज पर एक निजी एजेंसी को शहर की सड़कों से आवारा पशुओं को पकड़ कर गौशाला को हैंड ओवर करने का काम सौंपा है. हालांकि यह काम भी अभी तेज नहीं हुआ है. निगम ने हर एक पशु पकड़ने के लिए दर निर्धारित कर दी है, लेकिन अब जब गौशाला में आवारा पशु नहीं जा पाएंगे तो फिर निगम इनका क्या करेगा. यह एक बड़ा सवाल है. सवाल यह भी है कि क्या आवारा पशु लोगों की जान लेते रहेंगे.
रिपोर्ट: धनबाद ब्यूरो