धनबाद(DHANBAD):"इंडिया" और "भारत" को ले शुरू हुए विवाद में अब वॉलीवुड का प्रवेश हो गया है. कोयला उद्योग की दुश्वारियों पर बनी फिल्म का नाम "मिशन रानीगंज दी ग्रेट इंडियन रेस्क्यू" था , लेकिन अब इसका नाम "मिशन रानीगंज दी ग्रेट भारत रेस्क्यू" हो गया है. इसके पोस्टर भी जारी हो गए है. अक्षय कुमार इस फिल्म में हीरो के रोल में है. यह फिल्म कोयला खदान के भीतर फंसे मजदूरों को कैसे देसी तकनीक से बाहर निकाला गया, उस पर आधारित है. वह साल था 1989 का. 65 से अधिक कोयला मजदूर ECL रानीगंज की महावीर कोलियरी में फंस गए थे .उसके बाद तो कोयला उद्योग में तहलका मच गया था. रेस्क्यू ऑपरेशन में परेशानियों के बावजूद यह दुनिया का एक बहुत बड़ा सफल ऑपरेशन माना जाता है.
देसी तकनीक से बचाये गए थे 65 कोयला मजदूर
इस ऑपरेशन के मुखिया थे आईएसएम के 1965 बैच के अभियंता जसवंत सिंह गिल. इस फिल्म में अक्षय कुमार अभियंता जसवंत सिंह गिल की भूमिका निभा रहे हैं. रानीगंज की महावीर कोलियरी में जब 65 मजदूर फंस गए थे और कोई तकनीक नहीं काम आ रहा था, विदेश से भी सहायता ली गई थी, लेकिन मजदूर निकाले नहीं जा सक रहे थे. तब जसवंत सिंह गिल ने अपनी देसी तकनीक अपनाई और उन्होंने आदमी की लंबाई का एक कैप्सूल बनाया. कैप्सूल की बनावट ऐसी थी कि उसमें आदमी प्रवेश कर सकता था और सुरक्षित बाहर भी निकल सकता था. उस कैप्सूल के सहारे एक-एक कर महावीर कोलियरी से फंसे 65 मजदूरों को बाहर निकाला गया था.
सफल रेस्क्यू ऑपरेशन के बाद जैम गई थी धाक
उसके बाद तो जसवंत सिंह गिल की कोयला उद्योग में बड़ी धाक जम गई. जसवंत सिंह गिल को भारत सरकार ने साल 1991 में सर्वोत्तम जीवन रक्षक पदक से सम्मानित किया था. 1998 में वह बीसीसीएल से रिटायर हुए. आईआईटी आईएसएम धनबाद ने उनके नाम पर इंडस्ट्रियल सेफ्टी अवार्ड देने की घोषणा की है. जसवंत सिंह गिल अवकाश ग्रहण करने के बाद अमृतसर शिफ्ट कर गए थे .2019 में उनका निधन हो गया लेकिन उनका आइडिया आज भी लोगों को प्रेरणा देता है. उनकी हिम्मत, उनका साहस का लोग आज भी लोहा मानते हैं. इसी घटना पर आधारित फिल्म" मिशन रानीगंज" का टीचर रिलीज हुआ है. इस फिल्म में जसवंत सिंह गिल की जांबाजी दिखाई गई है.
रिपोर्ट -धनबाद ब्यूरो