धनबाद(DHANBAD): धनबाद से हज़ारीबाग़ की दूरी ज्यादा नहीं है. और संयोग देखिये हज़ारीबाग़ के निवर्तमान सांसद जयंत सिन्हा और धनबाद के भाजपा विधयक राज सिन्हा को एक ही दिन कारण बताओ नोटिस जारी किया गया है. यह भी एक संयोग ही है कि दोनों एक ही बिरादरी से आते है. इस नोटिस के बाद अब आगे क्या होगा ,इसपर केवल भाजपा ही नहीं बल्कि दूसरे दलों के साथ लोगो की भी निगाहें टिक गई है. हजारीबाग के निवर्तमान सांसद जयंत सिन्हा ने 2 मार्च को सोशल मीडिया एक्स पर भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष को संबोधित एक पोस्ट डाला था. लिखा था कि मुझे मेरे चुनावी कर्तव्यों से मुक्त कर दिया जाए. आगे लिखा था कि मैं भारत और दुनिया भर में वैश्विक जलवायु से निपटने के अपने प्रयासों पर ध्यान केंद्रित करना चाहते है. बस क्या था , इसी के कुछ घंटे बाद भाजपा ने मनीष जायसवाल को हजारीबाग से अपना उम्मीदवार घोषित कर दिया था. उसके बाद जयंत सिन्हा पार्टी के कार्यों में हिस्सा नहीं ले रहे थे.
नाराजगी का मुख्य वजह टिकट कटना ही माना जा रहा
क्यों नहीं हिस्सा ले रहे थे, इसका तो स्पष्ट कारण उन्होंने अभी तक नहीं बताया है, लेकिन टिकट कटना इसका मुख्य वजह माना जा रहा है और सोमवार को हजारीबाग लोकसभा का चुनाव खत्म होने के ठीक बाद भाजपा ने उन्हें कारण बताओं नोटिस जारी कर दिया है. भाजपा के प्रदेश महासचिव आदित्य साहू ने जारी नोटिस में लिखा है, जब से पार्टी ने मनीष जायसवाल को हजारीबाग लोकसभा सीट से उम्मीदवार घोषित किया है, तब से आप संगठन के कार्यों और चुनाव प्रचार में कोई दिलचस्पी नहीं ले रहे है. आपको अपने वोट का प्रयोग करने की जरूरत भी महसूस नहीं हुई. इससे पार्टी की छवि खराब हुई है. दो दिनों में उन्हें अपना रुख स्पष्ट करने को कहा गया है. अब देखना है कि आगे -आगे होता है क्या. वैसे इनके पिता यशवंत सिन्हा भी भाजपा की राजनीति में थे लेकिन उनका टिकट काटकर जयंत सिन्हा को टिकट दिया गया था. फिलहाल जयंत सिन्हा के पिता यशवंत सिन्हा टीएमसी से जुड़े हुए है. जबकि जयंत सिन्हा बीजेपी के बड़े नेता माने जाते है. यह भी खबर आई कि जयंत सिन्हा के बेटे कांग्रेस में शामिल हो गए है. लेकिन बाद में इस बात को लेकर असमंजस बनी रही. वैसे हजारीबाग से बीजेपी सांसद जयंत सिन्हा का टिकट कटने के बाद उनके पिता यशवंत सिन्हा भी नाराज चल रहे थे.
जयंत सिन्हा का टिकट कटना सबको अचंभित किया था
बेटे को जिस तरह से सक्रिय राजनीति से विदा किया गया और बीजेपी ने विधायक मनीष जायसवाल को हजारीबाग से उम्मीदवार बनाया, यह किसी के लिए भी अचंभित करने वाली बात थी. लेकिन अब तो टिकट कट गया है, तो सवाल उठता है कि क्या ऐसे में बहुत आसानी से यशवंत सिन्हा का परिवार हजारीबाग में अपनी राजनीतिक जमीन छोड़ देगा. भाजपा का अगला कदम क्या होता है और उसके बाद जयंत सिन्हा कौन सा कदम उठाते है ,यह देखना दिलचस्प हो सकता है. 2019 में जब झारखंड में भाजपा की सरकार बन रही थी तो मुख्यमंत्री की कुर्सी के लिए जयंत सिन्हा के नाम की भी चर्चा उठी थी. यह चर्चा उनकी काबिलियत पर उठी थी, लेकिन उन्हें क्या मालूम कि 2024 में इस तरह से उनका टिकट काट दिया जाएगा और अब उसके बाद नोटिस देकर आगे का रुख स्पष्ट करने को कहा जाएगा. अब ऐसा लगने लगा है कि लोकसभा चुनाव के बाद झारखंड में राजनीति में फिर एक बार उथल-पुथल होगी.
रिपोर्ट -धनबाद ब्यूरो